मणिपुर में हिंसा के बाद मिजोरम पुलिस भी अलर्ट, मैतई लोगों की बढ़ाई सुरक्षा
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मिजोरम के गृह सचिव एच लालेंगमाविया ने शनिवार को मैतेई समुदाय के नेताओं के साथ बैठक की और उन्हें सुरक्षा का आश्वासन दिया था. पीस एकॉर्ड एमएनएफ रिटर्नीज एसोसिएशन (पीएएमआरए) ने बाद में यह भी स्पष्ट किया कि उसके द्वारा जारी किया गया बयान गलत समझा गया था.
मणिपुर में हिंसा के खिलाफ मिजो संगठनों के राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन करने जा रहा है. इससे पहले एक पूर्व उग्रवादी समूह के बयान के बाद मैतेई लोगों के राज्य छोड़ने की खबरों भी सामने आई थीं. इसे देखते हुए रविवार को पूरे मिजोरम में सुरक्षा बढ़ा दी गई है. इसकी वजह से रविवार को तीन उड़ानों में 78 लोगों ने मणिपुर के लिए उड़ान भरी. वहीं, शनिवार को 65 लोगों ने पड़ोसी राज्य की यात्रा की. हालांकि, यह तुरंत स्पष्ट नहीं था कि इनमें से कितने लोग नियमित यात्री थे और कितने लोग डर के कारण भाग रहे थे. अधिकारियों ने कहा कि ये निर्धारित वाणिज्यिक उड़ानें थीं.
उन्होंने बताया कि मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने का वीडियो वायरल होने के बाद पूर्व उग्रवादियों के समूह ने मैतेई समुदाय के लोगों को राज्य छोड़ने के लिए कहा था. इसके बाद मिजोरम से 41 मैतेई लोग सड़क मार्ग से असम के कछार जिले में चले गए. इसके अलावा मणिपुर के 31 मिजो छात्र वहां की मौजूदा स्थिति के कारण मिजोरम लौट आए.
एनजीओ को-ऑर्डिनेशन कमेटी, सेंट्रल यंग मिजो एसोसिएशन (सीवाईएमए) और मिजो जिरलाई पावल (एमजेडपी) सहित पांच प्रमुख नागरिक समाज संगठनों का एक समूह है. यह संघर्षग्रस्त मणिपुर में ज़ो जातीय लोगों के प्रति एकजुटता बढ़ाने के लिए मंगलवार को राज्य भर में प्रदर्शन करेगा.
मैतेई लोगों की सुरक्षा के लिए पुलिस तैनात
न्यूज एजेंसी के मुताबिक एक बयान में कहा गया कि मिजोरम के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अनिल शुक्ला ने सुरक्षा व्यवस्था का आकलन करने के लिए रविवार को एक उच्च स्तरीय बैठक की. इसमें कहा गया है कि राज्य के विभिन्न हिस्सों में मैतेई लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किए गए उपायों की भी समीक्षा की गई.
शुक्ला ने पुलिस अधिकारियों को किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए सभी जिलों, विशेषकर संवेदनशील क्षेत्रों में उचित तैनाती, गश्त और सतर्कता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया. उन्होंने किसी भी घटना की स्थिति में त्वरित तैनाती की सुविधा के लिए वाहनों और अधिकारियों के साथ पर्याप्त संख्या में आरक्षित बलों की आवश्यकता पर जोर दिया.

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