
भारत, रूस और चीन के बीच बना त्रिपक्षीय मंच फिर होगा एक्टिव? रूसी विदेश मंत्री लावरोव ने दिए बड़े संकेत
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लावरोव ने कहा कि रूस ने भारत के साथ बातचीत में यह स्पष्ट किया है कि भारत की क्वाड (QUAD) में दिलचस्पी मुख्य रूप से व्यापार और शांतिपूर्ण आर्थिक सहयोग तक सीमित है. हालांकि, उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि क्वाड के अन्य देश नौसेना और सैन्य अभ्यास जैसे कदमों के ज़रिए चारों देशों को सैन्य सहयोग की दिशा में धकेलने की कोशिश कर रहे हैं, भले ही ये औपचारिक रूप से क्वाड के तहत नहीं हो रहे हों.
रूस के विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव ने संकेत दिया है कि भारत और चीन के बीच सीमा पर स्थिति को शांत करने के तरीके पर एक समझ बन गई है, मुझे लगता है कि रूस-भारत-चीन (RIC) त्रिपक्षीय मंच को फिर से सक्रिय करने का समय आ गया है.
रूस की समाचार एजेंसी RT के मुताबिक लावरोव ने कहा कि रूस ने भारत के साथ बातचीत में यह स्पष्ट किया है कि भारत की क्वाड (QUAD) में दिलचस्पी मुख्य रूप से व्यापार और शांतिपूर्ण आर्थिक सहयोग तक सीमित है. हालांकि, उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि क्वाड के अन्य देश नौसेना और सैन्य अभ्यास जैसे कदमों के ज़रिए चारों देशों को सैन्य सहयोग की दिशा में धकेलने की कोशिश कर रहे हैं, भले ही ये औपचारिक रूप से क्वाड के तहत नहीं हो रहे हों.
उन्होंने विश्वास जताया कि भारत इन उकसाने वाली गतिविधियों को साफ देख सकता है और ऐसे में, जब भारत और चीन आपसी सीमा विवाद को सुलझाने की दिशा में बढ़ रहे हैं, तो RIC फॉर्मेट को दोबारा शुरू करने का यह सबसे उपयुक्त समय है.
बता दें कि रूस, भारत और चीन के बीच यह त्रिपक्षीय मंच वर्षों पहले स्थापित किया गया था, जिसका उद्देश्य एशिया में सहयोग, स्थिरता और संतुलन को बढ़ावा देना था. चीन और भारत के बीच हाल के वर्षों में तनाव के कारण यह मंच निष्क्रिय पड़ गया था. अब जब दोनों देशों में संबंधों में कुछ नरमी देखी जा रही है, तो रूस इस मंच को फिर से शुरू करने के लिए राजनयिक पहल करता नजर आ रहा है.
बता दें कि पिछले महीने रूस के विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव ने BRICS विदेश मंत्रियों की बैठक में UNSC में भारत के सुधार की अपील का समर्थन किया था. उन्होंने खासतौर से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में सुधार की जरूरतों पर जोर दिया और भारत और ब्राजील को स्थायी सदस्यता देने की वकालत की थी. उन्होंने कहा था कि ये बदलाव अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के देशों को ज्यादा प्रतिनिधित्व देने का रास्ता तय करेगा.

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