भारतीय परंपरा में जाति-धर्म पूछे जाने की परंपरा क्यों? सुधीर चौधरी का ब्लैक एंड वाइट विश्लेषण
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जाति और धर्म का पूछा जाना, ऐतिहासिक रूप से ब्रिटिश हुकूमत के दौर से जुड़ा हुआ है. 1857 की क्रांति के बाद ब्रिटिश सरकार ने सेना में बड़े बदलाव किए थे. उन्होंने भारतीयों की सेना भर्ती के लिए खासतौर पर जाति आधारित व्यवस्था बनाई थी. ब्रिटिश आर्मी के लेफ्टिनेंट जनरल Jonathan Peel की अगुवाई में एक Commision बनाया गया. Jonathan Peel Commision को वफादार और लड़ाकू सैनिकों की भर्ती की जिम्मेदारी दी गई थी. उस वक्त भारतीयों को जाति के आधार पर लड़ाकू और गैर लड़ाकू नस्लों में बांटा गया था. लड़ाकू नस्लों में उत्तर भारत में मौजूद जातियों को प्रमुखता दी गई थी. अधिक जानकारी के लिए देखें सुधीर चौधरी का ब्लैक एंड वाइट विश्लेषण.
किसी 'खूनी दैत्य' की तरह बीच सड़क पर दो बेगुनाहों को कुचल देने वाली पोर्श कार को लेकर 19 मई की सुबह पूरे पुणे शहर में हाहाकार मचा हुआ था. हर तरफ लोग इसी हादसे की चर्चा कर रहे थे. वारदात की तस्वीरें सुर्खियां बन गई थीं. लेकिन इन सबके बीच पुणे शहर में ही एक शख्स नाबालिग आरोपी को ही बचाने के लिए 'अंडर द टेबल' डील करने में लगा था.
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