बोस को शर्मिंदगी होगी कि नेहरू-गांधी को बदनाम करने लिए उनका इस्तेमाल किया जा रहा है: रामचंद्र गुहा
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रामचंद्र गुहा ने मंगलवार को अपनी किताब 'इंडिया आफ्टर गांधी' के तीसरे संस्करण के विमोचन के मौके पर कहा कि यह बोस ही थे, जिन्होंने गांधी को 'राष्ट्रपिता' कहा था. उन्होंने आश्चर्य जताया कि 'वे (बीजेपी) कैसे गांधी, नेहरू और पटेल, जो सभी एक साथ मिलकर काम करते थे, उन्हें दुश्मन बताया जा रहा है.
मशहूर इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने दावा किया है कि अहिंसा को छोड़कर अधिकांश मुद्दों पर सुभाष चंद्र बोस महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू की बातों से इत्तेफाक रखते थे. उन्हें यह जानकर "शर्मिंदगी और पीड़ा" होगी है कि उनका इस्तेमाल दोनों नेताओं की छवि को खराब करने के लिए किया जा रहा है.
गुहा ने मंगलवार को अपनी किताब 'इंडिया आफ्टर गांधी' के तीसरे संस्करण के विमोचन के मौके पर कहा कि यह बोस ही थे जिन्होंने गांधी को 'राष्ट्रपिता' कहा था और आश्चर्य जताया कि 'वे (बीजेपी) कैसे गांधी, नेहरू और पटेल, जो सभी एक साथ मिलकर काम करते थे, उन्हें दुश्मन बताया जा रहा है.
न्यूज एजेंसी के मुताबिक उन्होंने कहा, "अहिंसा को छोड़कर ज्यादातर चीजों पर, बोस गांधी और नेहरू के समान पक्ष में थे. वह पहले व्यक्ति होंगे जो इस बात से चकित, शर्मिंदा और दुखी होते कि बोस का इस्तेमाल गांधी और नेहरू को बदनाम करने के लिए किया जा रहा है."
64 वर्षीय लेखक ने चर्चा के दौरान गांधी, नेहरू के प्रति बोस के सम्मान और प्रशंसा के उदाहरण दिए. उन्होंने दावा किया कि जब बोस ने इंडिया नेशनल आर्मी (आईएनए) की शुरुआत की, तो उन्होंने अपने ब्रिगेड का नाम "गांधी, नेहरू और आजाद (चंद्रशेखर)" रखा, साथ ही उन्होंने बताया कि 1945 में बोस की मृत्यु के बाद गांधी ने कलकत्ता - अब कोलकाता में भाषण दिया और उनकी देशभक्ति को सलाम किया.
उन्होंने कहा, "कांग्रेस अध्यक्ष पद के सवाल पर भी जब बोस ने इस्तीफा दे दिया, उन्होंने कहा कि अगर मुझे भारत के सबसे महान व्यक्ति का विश्वास नहीं मिला, जो कि वो गांधी को मानते थे, तो मैं अध्यक्ष के रूप में आगे काम नहीं करूंगा."
बोस, जिन्हें 1938 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था, ने 1939 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.

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