बैन बेअसर, कर्नाटक में पूरी तरह सक्रिय है PFI... आजतक के स्टिंग में बड़ा खुलासा
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कर्नाटक में PFI अभी भी पूरी तरह सक्रिय चल रहा है. केंद्र सरकार ने उस पर बैन जरूर लगा दिया है, लेकिन कर्नाटक में एक अलग ही रणनीति के दम पर PFI मजबूत भी हो रहा है और उसकी विचारधारा का प्रसार भी लगातार हो रहा है. आजतक ने एक स्टिंग के जरिए इस राज से पर्दा उठा दिया है.
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर पिछले साल केंद्र सरकार ने बैन लगा दिया था. तर्क दिया गया था कि देश के खिलाफ कई गतिविधियों में ये संगठन शामिल है. अब जिस मकसद से PFI को बैन किया गया, कर्नाटक में वो कमजोर होता दिख रहा है. आजतक की सीक्रेट जांच में ये पता चला है कि PFI एक दूसरे नाम से राज्य में पूरी तरह सक्रिय है. उसके कई सदस्य उस संगठन का हिस्सा बन अपने पुराने काम को ही अंजाम दे रहे हैं.
PFI=SDPI, कर्नाटक में चल रहा बड़ा खेल
असल में कर्नाटक में एक संगठन है-Social Democratic Party of India यानी कि SDPI. कई लोग इसे पीएफआई का ही राजनीतिक संगठन तक मानते हैं. अब हो ये रहा है कि इस समय इस SDPI संगठन में ही पीएफआई के सदस्य घुस गए हैं. बड़ी तादाद में वो शामिल हुए हैं, अपने उसी पुराने एजेंडे को आगे भी बढ़ा रहे हैं. आजतक के रिपोर्टर से बात करते हुए पीएफआई नेता चांद पाशा ने कहा कि वो अपने इलाके में संगठन को लगातार मजबूत कर रहा है, वीडियो जारी कर रहा है, वाट्स ऐप के जरिए मुस्लिम वोटरों के बीच अपनी विचारधारा फैला रहा है. पाशा ने इस बात पर भी जोर दिया कि हम सभी पीएफआई के ही कार्यकर्ता हैं, हम लगातार अपने समर्थकों के बीच मंथन करते हैं, जो उम्मीदवार जीत सकता है, इस पर चर्चा करते हैं. हम बस बीजेपी को हराना चाहते हैं.
टेक्नोलॉजी का सहारा, विचारधारा लगातार प्रसार
अब सवाल ये उठता है कि जिस PFI को बैन कर दिया गया है, कर्नाटक में उसकी विचारधारा का प्रसार अभी भी धड़ल्ले से कैसे चल रहा है. आखिर इसे बैन हुए संगठन के पास इतनी ताकत कहा से आ रही है, उसे कौन मदद कर रहा है. आजतक की जांच में इस सवाल का जवाब निकलकर सामने आया है. पाशा ने ही बताया है कि इलाके में 30 से 50 मस्जिद हैं, उनके 10 से 15 प्रेसिडेंट हैं. उन सभी ने फिर 10 से 15 ग्रुप बना रखे हैं. अब कोई भी संदेश देना होता है तो वो क्लिक से कई लोगों तक आसानी से पहुंच जाता है. बड़ी बात ये है कि इस समय कर्नाटक के Chikkamagaluru जिले में 70 से 80 फीसदी तक पीएफआई का संगठन अभी भी एक्टिव है, यानी कि वहां बैन का कोई असर नहीं दिख रहा है.
'PFI से हैं, साबित कैसे करेंगे आप'
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