बिहार: वकील के घर छापेमारी करना पड़ा भारी, डेढ़ साल पुराने मामले में 8 पुलिसकर्मी सस्पेंड
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कोर्ट ने मामले में संज्ञान लेकर आठ पुलिस अधिकारी आनंद कुमार, संजय कुमार सिंह, मिथिलेश कुमार, पुष्पलता कुमारी, सुबोध चौधरी, प्रेमशंकर सिंह, अब्दुल मन्नान और गुलाम सरवर के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है.
माधोपारा निवासी वकील के घर पर हुई कार्रवाई में पुलिस अधिकारियों को सेशन कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है. इस मामले में आठ पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई होना तय है. आठ में से सात अधिकारियों ने न्यायिक दंडाधिकारी विजय कुमार के संज्ञान आदेश को चुनौती देते हुए सेशन कोर्ट में रिवीजन पिटीशन दायर की थी. सत्र न्यायाधीश अतुल कुमार सिंह ने इस याचिका को खारिज करते हुए पूर्व के आदेश को जायज ठहराया.
सेशन कोर्ट ने माना कि पुलिस अधिकारियों ने अपने कर्तव्यों से हटकर कार्रवाई की है. हालांकि पुलिस अधिकारियों की ओर से कोर्ट में यह कहा गया था कि अधीनस्थ न्यायालय द्वारा ज्यूडिशियल माइंड का प्रयोग नहीं किया गया है और पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में सभी पर कार्रवाई शुरू की गई है. जानकारी के लिए बता दें कि 17 जुलाई 2021 की घटना को लेकर 6 अगस्त 2021 को सीए केस के तहत अधिवक्ता शहीदुल हक ने मुकदमा दर्ज कराया था. कोर्ट ने मामले में संज्ञान लेकर आठ पुलिस अधिकारी आनंद कुमार, संजय कुमार सिंह, मिथिलेश कुमार, पुष्पलता कुमारी, सुबोध चौधरी, प्रेमशंकर सिंह, अब्दुल मन्नान और गुलाम सरवर के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है.
क्या है पूरा मामला
पीड़ित अधिवक्ता शहीदुल हक के एक रिश्तेदार की पत्नी ने पति पर प्रताड़ना को लेकर किशनगंज महिला थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. इसमें उसने पति पर बेटी को लेकर चले जाने का आरोप लगाया. उसने यह शक जाहिर किया कि उसकी बेटी को रिश्तेदार अधिवक्ता के घर पर रखा गया है. उसी छोटी बच्ची की तलाशी में किशनगंज महिला थाने की एसएचओ, स्थानीय पुलिस अधिकारियों की टीम के साथ रात के समय अधिवक्ता के घर पहुंची. पीड़ित अधिवक्ता ने आरोप लगाया कि तलाशी के दौरान पुलिस अधिकारियों ने घर में घुसकर तोड़फोड़ की. उन्हें और उनके परिवार के सभी सदस्यों के साथ मारपीट की. पुलिस अधिकारी उन्हें जबरन उठाकर थाने पर ले गए. उधर, पुलिस अधिकारियों का कहना था कि तलाशी के दौरान अधिवक्ता ने अन्य लोगों के साथ मिलकर पुलिस अधिकारियों के साथ मारपीट की. पुलिस ने अधिवक्ता समेत उनके परिवार पर सहायक थाने में केस किया. फिर बार एसोसिएशन के सहयोग से कोर्ट में परिवाद पत्र दायर हुआ था.
कोर्ट ने मांगा था पुलिस अधिकारी से स्पष्टीकरण
घटना के दिन पुलिस जब पीड़ित वकील और उनके परिवार वालों को गिरफ्तार कर सीजेएम कोर्ट में रिमांड कराने पहुंची तो कोर्ट ने रिमांड करने से मना कर दिया. इसके विपरीत पुलिस की कार्रवाई पर फटकार भी लगायी. कोर्ट ने आदेश जारी किया जिसमें मामले में शामिल अनुसंघानकर्ता प्रेमशंकर सिंह, सब इंस्पेक्टर संजय कुमार सिंह, एएसआई अब्दुल मन्नान, महिला थाना किशनगंज की एसएचओ पुप्पलता कुमारी और सबइंस्पेक्टर सुबोध चौधरी से एक सप्ताह में शोकॉज दाखिल करने का सख्त निर्देश दिया. कोर्ट ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा था कि पुलिस जिस आरोपी को रिमांड करने लायी है, वह एक अधिवक्ता हैं, ऐसे में उन्हें महज लुंगी-गंजी और पैर में बिना चप्पल के हथकड़ी लगाकर रिमांड कराने आयी है.
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