बालासोर जैसा ट्रेन हादसा रोकने के लिए कौन-सी तकनीक इस्तेमाल करते हैं चीन और जापान?
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ओडिशा में हुए भयानक ट्रेन हादसे के बाद भारतीय रेलवे के सुरक्षा तंत्र पर एक बार फिर सवाल उठ रहे हैं. सवाल उठ रहा है कि भारतीय रेलवे के कौन से तकनीकी मापदंड हैं जो ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने की दिशा में काम करते हैं? सवाल ये भी उठ रहा है कि आखिर चीन और जापान जैसे देश कौन सी तकनीक का इस्तेमाल करते हैं, जहां 600 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेनें दौड़ रही हैं.
ओडिशा के बालासोर में हुए रेल हादसे की जांच सीबीआई कर रही है. जिन पटरियों पर लाशें बिखरी हुई थीं, वहां फिर से ट्रेन दौड़ने लगी हैं. दक्षिण पूर्व रेलवे के टूटे हुए लिंक को बहाल कर दिया गया है. लेकिन इस भयानक ट्रेन हादसे के बाद भारतीय रेलवे के सुरक्षा तंत्र पर एक बार फिर सवाल उठ रहे हैं. खासकर 2022 में भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं, जिसमें कई कमियों को चिह्नित किया गया था और देश की प्रमुख परिवहन प्रणाली की सुरक्षा में सुधार के लिए कुछ सिफारिशें की गई थीं.
सवाल उठ रहा है कि भारतीय रेलवे के कौन से तकनीकी मापदंड हैं जो ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने की दिशा में काम करते हैं? हमने रेलवे सिस्टम की उन क्षमताओं और सुरक्षा विशेषताओं का विश्लेषण किया, जो ट्रेनों को आमने-सामने की टक्कर से बचाने में मदद करती हैं. क्या वे कोरोमंडल एक्सप्रेस में मौजूद थे? क्या वे काम कर रहे थे? और सबसे बड़ा सवाल है कि क्या इस दुर्घटना को टाला जा सकता था? साथ ही सवाल ये भी उठ रहा है कि आखिर चीन और जापान जैसे देश कौन सी तकनीक का इस्तेमाल करते हैं, जहां 600 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेनें दौड़ रही हैं. आइए जानते हैं भारतीय रेलवे की सुरक्षा विशेषताएं क्या हैं-
इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग:
इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग (ईआई) एक प्रकार का रेलवे सिग्नलिंग सिस्टम है, जो सिग्नलिंग, पॉइंट्स और ट्रैक सर्किट को प्रबंधित और समन्वयित करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक घटकों का उपयोग करता है. यह इन बिंदुओं, संकेतों और ट्रैक सर्किट की स्थिति की निगरानी करता है और दुर्घटना को होने से रोकने के लिए ऐसे घटकों को जोड़ता है. उदाहरण के तौर पर देखें तो अगर दो ट्रेनें एक ही ट्रैक लाइन का उपयोग करने का प्रयास करती हैं तो ये काम अलर्ट जारी करता है.
रेलवे अधिकारियों द्वारा की गई एक प्रारंभिक जांच से पता चला है कि कोरोमंडल एक्सप्रेस को अप लाइन से गुजरने के लिए सिग्नल दिया गया था और फिर सिग्नल वापस ले लिया गया. सिग्नल क्यों दिया गया और फिर ऑफ क्यों किया गया, यह अभी साफ नहीं है. यह कथित तौर पर 'इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग' त्रुटि के कारण बताया गया है.
विजिलेंस कंट्रोल डिवाइस:
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केजरीवाल के वकील ने कहा कि ईडी के हस्तक्षेप के कारण, केजरीवाल को अपने कानूनी मामलों के लिए लीगल मीटिंग करने की अनुमति नहीं है और हफ्ते में सिर्फ 2 लीगल मीटिंग की अनुमति है. यदि आप भी समय देंगे, तो भी हमारे पास केजरीवाल के जवाब नहीं होंगे, तो हम कोई जवाब कैसे दाखिल कर सकते हैं? हमें अरविंद केजरीवाल से निर्देश नहीं मिल पा रहे हैं.'
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