
बांग्लादेश के Dark Prince तारिक रहमान की घर वापसी... भारत के लिए गुड न्यूज क्यों?
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बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान 17 साल बाद देश लौट आए हैं. वे गिरफ्तारी से बचने के लिए 2008 में लंदन भाग गए थे. तब हसीना सरकार में उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के कई मामले चल रहे थे.
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के पोस्टर्स पर 17 वर्षों तक उनका चेहरा दिखता रहा. ढाका से लेकर देश के दूर-दराज इलाकों तक रैलियों में अगर वह खुद नहीं पहुंच पाते थे तो उनकी रिकॉर्डेड आवाज गूंजती थी. यहां बात हो रही है बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे और कभी देश की राजनीति के ‘डार्क प्रिंस’ कहे जाने वाले तारिक रहमान की, जो लगभग दो दशक बाद ढाका लौट आए हैं.
BNP के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान अपनी पत्नी डॉ. जुबैदा रहमान और बेटी, बैरिस्टर जाइमा के साथ ढाका पहुंचे हैं. ढाका पहुंचते ही उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा कि 6,314 दिनों के बाद बांग्लादेश में. यह हिंसा से जूझ रहे बांग्लादेश और BNP के लिए एक निर्णायक क्षण है. उनकी यह वापसी फरवरी में होने वाले अहम आम चुनावों से ठीक पहले हुई है, ऐसे चुनाव जो भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा के लिहाज से भी बेहद महत्वपूर्ण हैं.
भारत के लिए तारिक रहमान की वापसी खास मायने रखती है, खासकर ऐसे समय में जब भारत समर्थक अवामी लीग को चुनाव लड़ने से रोका जा चुका है और खालिदा जिया अस्पताल में भर्ती हैं.
यह सब ऐसे वक्त में हो रहा है, जब बांग्लादेश एक चौराहे पर खड़ा है. अंतरिम मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में कट्टरपंथी इस्लामी तत्व खुलेआम सक्रिय हैं और भारत विरोधी जहर फैला रहे हैं. भारत की सबसे बड़ी चिंता जमात-ए-इस्लामी को लेकर है, जिसे पाकिस्तान की ISI का मोहरा माना जाता है. शेख हसीना सरकार द्वारा प्रतिबंधित की गई यह पार्टी, पिछले साल उनकी सत्ता से विदाई के बाद दोबारा राजनीति में पैर जमा चुकी है.
हालिया जनमत सर्वेक्षण में संकेत मिले हैं कि जहां तारिक रहमान की BNP को सबसे अधिक सीटें मिलने की संभावना है, वहीं कभी उसकी सहयोगी रही जमात अब उसकी एड़ी पर सांस ले रही है. भारत की चिंता तब और बढ़ गई जब ढाका विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनावों में जमात की छात्र इकाई ने चौंकाने वाली जीत दर्ज की.
ऐसे हालात में, भारत की नजर में BNP को अपेक्षाकृत अधिक उदार और लोकतांत्रिक विकल्प के रूप में देखा जा रहा है, भले ही दोनों के बीच रिश्ते ऐतिहासिक रूप से तनावपूर्ण रहे हों. भारत को उम्मीद है कि तारिक रहमान की वापसी से पार्टी कैडर में जान आएगी और बीएनपी अगली सरकार बनाएगी.

बांग्लादेश में छात्र नेता हादी की हत्या के बाद से तनाव की स्थिति बनी हुई है. अब तक इस मामले में 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. चटगांव में हिंदू समुदाय के घर में आग लगाई गई, जिससे स्थिति और बिगड़ गई है. यह घटनाएं बांग्लादेश के सामाजिक और राजनीतिक माहौल में अप्रशांति को दर्शाती हैं. देश में शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाने की जरूरत है ताकि सभी समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके.

बांग्लादेश में 19 दिसंबर को हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की भीड़ द्वारा बेरहमी से पीट-पीटकर हत्या किए जाने की घटना ने देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. विदेश मंत्रालय के डेटा के अनुसार 2022 में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर 47 हमले दर्ज किए गए, जो 2023 में बढ़कर 302 हो गए, और फिर 2024 में तेजी से बढ़कर 3,200 हो गए.

चीनी सरकारी टीवी चैनल CCTV पर दिखाए गए फुटेज में एयरफोर्स कमांडर जनरल चांग डिंगचिउ और एयरफोर्स के राजनीतिक कमिश्नर गुओ पुछियाओ सोमवार को हुए उस समारोह में नजर नहीं आए, जिसमें सेना में खाली पड़े शीर्ष पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू की गई थी. ये पद हाल के बड़े भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के बाद खाली हुए हैं.

बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान 17 वर्षों के निर्वासन के बाद बांग्लादेश लौटे हैं. बीएनपी ने उनके स्वागत के लिए 50 लाख समर्थकों को जुटाने का लक्ष्य रखा है. यह वापसी फरवरी में होने वाले संसदीय चुनावों से पहले हो रही है जिसमें तारिक रहमान प्रधानमंत्री पद के प्रमुख दावेदार हैं.









