
बजट में अगर मान ली गईं ये डिमांड्स... तो एजुकेशन में 'विश्व गुरु' बनेगा भारत!
AajTak
सरकार से शिक्षा बजट बढ़ाने की मांग की जा रही है. फिलहाल शिक्षा पर सरकार GDP के ढाई से 3 फीसदी के बीच ही रकम आवंटित करती है जिसे बढ़ाकर कम से कम 5 या 6 परसेंट किए जाने की मांग है.
इस बार के बजट से एजुकेशन सेक्टर भी काफी आस लगाए बैठा है. स्कूल, कॉलेज से लेकर ट्रेनिंग, स्किल डेवलेपमेंट, कोचिंग इंस्टीट्यूट्स और एडुटेक स्टार्टअप्स को भी इस बजट से काफी उम्मीदें हैं. अगर कुछ मुख्य डिमांड्स की बात करें तो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से एजुकेशन सेक्टर महंगे प्रोफेशनल कोर्सेस के लिए फंडिंग के विकल्प बढ़ाए जाने की मांग कर रहा है.
इसके साथ ही सभी एजुकेशन सर्विसेज पर लगने वाले GST में छूट, शिक्षा की बुनियादी सुविधाओं का ग्रामीण क्षेत्रों में विकास और आर्थिक तौर पर पिछड़े स्टूडेंट्स के लिए शैक्षिक खर्चों पर 100 फीसदी GST की छूट जैसी कई मांगे हैं जिनके लिए इस सेक्टर के स्टेकहोल्डर्स को काफी उम्मीदें हैं. कुल मिलाकर भी शिक्षा जैसी बुनियादी जरूरत के लिए 18 फीसदी GST को जानकार घटाने की मांग कर रहे हैं.
शिक्षा बजट बढ़ाने की मांग
एजुकेशन सेक्टर का मानना है कि अगर भारत का लक्ष्य शिक्षा में 'विश्व गुरु' बनना है तो उसे ग्रामीण क्षेत्रों में एजुकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाना होगा. इसके साथ ही टीचर्स ट्रेनिंग, टेक्नोलॉजी और हायर एजुकेशन के लिए निवेश को प्रोत्साहित करना होगा. इस सेक्टर का सुझाव है कि सरकार को एजुकेशन सेक्टर में निवेश करने वाली कंपनियों और लोगों को भी प्रोत्साहित करने पर विचार करना चाहिए.
इसके अलावा सरकार से शिक्षा बजट बढ़ाने की मांग की जा रही है. फिलहाल शिक्षा पर सरकार GDP के ढाई से 3 फीसदी के बीच ही रकम आवंटित करती है जिसे बढ़ाकर कम से कम 5 या 6 परसेंट किए जाने की मांग है यानी 1.32 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा रकम अब शिक्षा पर खर्च किए जाने की डिमांड है.
भारत में 15 लाख स्कूल, 25 करोड़ छात्र













