
'बच्चों की मौत उन दवाइयों से हुई, जो माताओं ने दी...', कफ सिरप विवाद पर बोले राजस्थान के मंत्री
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मध्यप्रदेश और राजस्थान में दूषित कफ सिरप से बच्चों की मौत का आंकड़ा 11 तक पहुंच गया है. छिंदवाड़ा में नौ मौतें हुईं, बाकी राजस्थान में. एनसीडीसी ने नमूने जांच के लिए लिए हैं. राजस्थान सरकार में मंत्री गजेंद्र सिंह ने स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी से इनकार किया.
मध्य प्रदेश और राजस्थान में पिछले कुछ दिनों से कफ सिरप से बच्चों की मौत का मामला तूल पकड़े हुआ है. दोनों राज्यों को मिलाकर अब तक कुल 11 मौतें हुई हैं. छिंदवाड़ा में परासिया के अनुविखीभागीय दंडाधिकारी शुभम यादव ने बताया कि कल देर रात तक छिंदवाड़ा में नौ बच्चों की मौत हो चुकी है. उन्होंने बताया कि एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं. 1 अक्टूबर तक छह मौतें दर्ज की गई थीं.
रोग निगरानी के लिए सरकार की नोडल एजेंसी, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) ने मध्य प्रदेश और राजस्थान के अस्पतालों और अन्य स्थलों से पानी और कीटविज्ञान संबंधी दवाओं के नमूने कलेक्ट किए हैं, जहां कथित रूप से दूषित कफ सिरप के सेवन के कारण गुर्दे की विफलता से कई बच्चों की मौत हो गई थी.
राजस्थान के चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खीमसर ने बच्चों की मौत पर सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि माताओं द्वारा दी गई दवाइयां सरकारी सिफारिश या अस्पताल के प्रिस्क्रिप्शन से नहीं थीं. उन्होंने कहा कि ऐसे हादसे होने पर विभाग की कोई भूमिका नहीं होती है, क्योंकि यह उनके दायरे से बाहर है.
'स्वास्थ्य विभाग का कोई रोल नहीं...'
गजेंद्र सिंह खीमसर ने बच्चों की मौत के मामले पर बयान दिया है. मंत्री ने कहा, "इस हादसे में स्वास्थ्य विभाग का कोई रोल नहीं है. यह उनके डिपार्टमेंट के दायरे से बाहर है. यह हादसा उन दवाइयों से हुआ है, जो माताओं ने बच्चों को दीं. ये दवाइयां सरकारी अस्पताल के प्रिस्क्रिप्शन या सिफारिश से नहीं थीं."
दायरे से बाहर, फिर भी करेंगे जांच...

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