
बगावत, CM दावेदारों की लंबी लिस्ट और सियासी परिवारों की चाहतें... हरियाणा चुनाव के वो फैक्टर जो बढ़ा रहे बीजेपी और कांग्रेस, दोनों ही दलों की मुश्किलें
AajTak
हरियाणा चुनाव में बीजेपी के लिए किसान, पहलवान और जवान और अग्निवीर के मुद्दे के साथ ही 10 साल की एंटी इनकम्बेंसी चुनौती बन रही है. वहीं कांग्रेस की उम्मीदों की राह में भी कई रोड़े हैं. कुछ कॉमन फैक्टर भी हैं जो दोनों ही दलों की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं. जानिए.
हरियाणा के चुनाव में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के इरादे के साथ मैदान में है तो वहीं कांग्रेस 10 साल बाद सत्ता में वापसी करने के इरादे से. दोनों ही राष्ट्रीय पार्टियां चुनावी लड़ाई में पूरा जोर लगा रही हैं. चुनावी रणभूमि में वोटर्स को रिझाने के लिए हर चाल चली जा रही है. किसान, पहलवान और जवान के साथ अग्निवीर के मुद्दे के साथ ही 10 साल की एंटी इनकम्बेंसी बीजेपी के लिए चुनौती बन गई है तो वहीं कांग्रेस की उम्मीदों की राह में भी कई रोड़े हैं. कुछ फैक्टर्स ऐसे भी हैं जो दोनों ही दलों के लिए मुसीबत बनते नजर आ रहे हैं. वो कॉमन फैक्टर्स कौन से हैं? चार पॉइंट्स में समझा जा सकता है.
1- बागी उम्मीदवार
बीजेपी से लेकर कांग्रेस तक, टिकटों के ऐलान के बाद दोनों ही दलों में बगावत खुलकर सामने आई. दोनों ही दलों के कई नेताओं ने बगावत कर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी रणभूमि में ताल ठोक दी. हरियाणा की 90 में से कई सीटों पर बतौर निर्दलीय उतरे कद्दावर अपनी ही पार्टी के लिए मुश्किल का सबब बन गए हैं.
लाडवा सीट से बीजेपी के टिकट पर सीएम नायब सिंह सैनी चुनाव लड़ रहे हैं. लाडवा में सीएम सैनी के खिलाफ बीजेपी के बागी संदीप गर्ग उतर आए हैं. वहीं, रनिया में पूर्व मंत्री रणजीत चौटाला और गन्नौर में पूर्व मंत्री देवेंद्र कादयान बीजेपी से बगावत कर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं. बीजेपी के बागियों की लिस्ट में सफीदो सीट से मैदान में उतरे बच्चन सिंह आर्य, महम से राधा अहलावत, गुरुग्राम से नवीन गोयल और हथीन से निर्दल उम्मीदवार केहर सिंह रावत के भी नाम हैं.
वहीं, कांग्रेस से बगावत कर चुनाव मैदान में उतरे नेताओं की भी लंबी लिस्ट है. कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर पार्टी से बगावत कर अंबाला कैंट से चित्रा सरवारा, बल्लभगढ़ से शारदा राठौर, बहादुरगढ़ से राजेश जून बतौर निर्दलीय मैदान में उतर आए. उचाना से दिलबाग शांडिल्य, गुहला से नरेश ढांडा, जींद से प्रदीप गिल, पुंडरी से सज्जन सिंह ढुल बतौर निर्दलीय मैदान में हैं. कलायत में कांग्रेस की बागी अनीता ढुल, पानीपत ग्रामीण में विजय जैन, दादरी में अजीत फोगाट, नीलोखेड़ी में राम गोंदर और दयाल सिंह सरोही, भिवानी में अभिजीत सिंह, बवानी खेड़ा में सतबीर रातेड़ा बवानी खेड़ा भी पार्टी के लिए मुसीबत बन गए हैं.
2- सीएम दावेदारों की लंबी लिस्ट

देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महायुति सरकार ने शुक्रवार को अपने एक साल का सफर तय कर लिया है. संयोग से इस समय महाराष्ट्र में स्थानीय निकायों के चुनाव चल रहे हैं, जिसे लेकर त्रिमूर्ति गठबंधन के तीनों प्रमुखों के बीच सियासी टसल जारी है. ऐसे में सबसे ज्यादा चुनौती एकनाथ शिंदे के साथ उन्हें बीजेपी के साथ-साथ उद्धव ठाकरे से भी अपने नेताओं को बचाए रखने की है.

नो-फ्रिल्स, जीरो कर्ज, एक ही तरह के जहाज के साथ इंडिगो आज भी खड़ी है. लेकिन नए FDTL नियमों और बढ़ते खर्च से उसकी पुरानी ताकत पर सवाल उठ रहे हैं. एयर इंडिया को टाटा ने नया जीवन दिया है, लेकिन अभी लंबी दौड़ बाकी है. स्पाइसजेट लंगड़ाती चल रही है. अकासा नया दांव लगा रही है. इसलिए भारत का आसमान जितना चमकदार दिखता है, एयरलाइन कंपनियों के लिए उतना ही खतरनाक साबित होता है.

राष्ट्रपति पुतिन ने राजघाट पहुंचकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी. इस दौरान उनकी गरिमामय उपस्थिति के साथ राष्ट्रपति भवन में उनका औपचारिक स्वागत किया गया और उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया गया. यह मुलाकात दो देशों के बीच रिश्तों की मजबूती को दर्शाने वाली थी. पुतिन ने महात्मा गांधी के आदर्शों का सम्मान करते हुए भारत की संस्कृति और इतिहास को सराहा. इस अवसर पर राजघाट की शांतिपूर्ण और पावन वायु ने सभी को प्रेरित किया.










