प्रॉस्टिट्यूट, हाउस वाइफ, अनवेड मदर... अब अदालतों में इस्तेमाल नहीं होंगे स्टीरियोटाइप शब्द, सुप्रीम कोर्ट ने जारी की हैंडबुक
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सुप्रीम कोर्ट ने जेंडर स्टीरियोटाइप शब्दों से निपटने के लिए हैंडबुक लॉन्च की है, जो जजों को अदालती आदेशों में अनुचित जेंडर शब्दों के इस्तेमाल से बचने में मदद करेगी. सीजेआई ने इसे लॉन्च करते हुए कहा कि इसमें आपत्तिजनक शब्दों की लिस्ट है और उसकी जगह किन शब्दों का इस्तेमाल किया जाए, इसके बारे में भी बताया गया है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसलों और दलीलों में अब जेंडर स्टीरियोटाइप शब्दों का इस्तेमाल नहीं होगा. शीर्ष अदालत ने महिलाओं के लिए इस्तेमाल होने वाले आपत्तिजनक शब्दों को बोलने से परहेज करने को कहा है. इसके अलावा उनके विकल्प के तौर पर किन शब्दों का इस्तेमाल किया जा सकता है, इसके लिए हैंडबुक जारी की है.
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को जेंडर स्टीरियोटाइप शब्दों से निपटने के लिए हैंडबुक लॉन्च की है, जो जजों को अदालती आदेशों में अनुचित जेंडर शब्दों के इस्तेमाल से बचने में मदद करेगी. सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने हैंडबुक लॉन्च करते हुए कहा कि इसमें आपत्तिजनक शब्दों की लिस्ट है और उसकी जगह किन शब्दों का इस्तेमाल किया जाए, इसके बारे में भी बताया गया है. इन्हें कोर्ट में दलील देने, आदेश देने और उसकी कॉपी तैयार करने में उपयोग किया जा सकता है.
सीजेआई ने कहा कि इस हैंडबुक को तैयार करने का मकसद किसी फैसले की आलोचना करना या संदेह करना नहीं है, बल्कि ये बताना है कि जाने-अनजाने रूढ़िवादिता की परंपरा चली आ रही है. कोर्ट का उद्देश्य यह बताना है कि रूढ़िवादिता क्या है और इससे क्या नुकसान है ताकि महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों के इस्तेमाल से बचा जा सके.
अदालतों में अफेयर शब्द का नहीं होगा इस्तेमाल
उदाहरण के लिए महिला को व्यभिचारी कहना उचित नहीं है. इसके बजाय कहा जा सकता है कि वह महिला जो विवाहेतर यौन संबंधों में संलग्न रही हो. कोर्ट के आदेशों में अफेयर शब्द के प्रयोग को विवाहेतर संबंधों से बदला जा सकता है. वहीं पत्नी को कर्तव्यपरायण पत्नी कहना भी अनुचित है, उसे महिला ही कहा जाना चाहिए.
किन शब्दों की जगह क्या होंगे इस्तेमाल?
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