प्रियंका गांधी की यूपी कांग्रेस से रुखसती क्यों हुई, ये हैं 4 अटकलें
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हो सकता है कि प्रियंका गाधी को 2024 लोकसभा चुनावों में कोई महत्वपूर्ण भूमिका मिलने वाली हो, पर जिस तरह से यूपी कांग्रेस के प्रभारी से उनकी छुट्टी की गई उससे तो यही लगता है कि उनके प्रभाव को कमतर किया जा रहा है. क्योंकि पिछले महीने यूपी कांग्रेस कार्यसमिति में भी प्रियंका के खास लोगों को जगह नहीं मिल सकी थी.
प्रियंका गांधी को यूपी के प्रभारी पद से कांग्रेस ने छुट्टी कर दी है. इसे लेकर तरह-तरह की अफवाहों का बाजार गर्म है. कोई कह रहा है कि उन्हें 2024 के लोकसभा चुनावों में बड़ी जिम्मेदारी मिलने वाली है. वहीं कुछ लोग कह रहे हैं कि प्रियंका को कांग्रेस में महत्वहीन बनाए रखने की साजिश चल रही है. कांग्रेस नेता कह रहे हैं कि उनको हटाया नहीं गया है, उन्होंने खुद ही पूरे देश के लिए काम करने की इच्छा जताई है.इसमें कोई 2 राय नहीं हो सकती है कि प्रियंका गांधी वाड्रा के लिए केवल यूपी में काम करने के बजाय पूरे देश में काम करना ज्यादा सम्मान की बात है और वो उसके उपयुक्त भी हैं.
इसके साथ ही प्रियंका गांधी ने काफी समय से यूपी में आना जाना भी कम कर दिया था जिससे ये संकेत मिलने लगे थे कि वो यूपी के प्रभार से मुक्त होना चाहती हैं. पर कांग्रेस में आज भी यूपी को मजबूत करने के लिए उनके जितना बड़े कद का कोई और नहीं है. अविनाश पांडे पुराने कांग्रेसी हो सकते हैं पर यूपी में आज भी कांग्रेस से बाहर उन्हें कोई नहीं जानता है. पिछले महीने जब प्रदेश कार्यसमिति का गठन किया गया तो भी प्रियंका गांधी के करीबी लोगों की छुट्टी कर दी गई . तो क्या पार्टी के अंदर उनके लिए सब ठीक नहीं चल रहा है. क्या राहुल गांधी और उनके बीच कुछ तनाव है या पार्टी पर वर्चस्व की जंग चल रही है. आईए देखते हैं कि वास्तव में क्या हो रहा है कांग्रेस के अंदर?
1-क्या संदीप सिंह बन गए कारण
यूपी में प्रियंका के लाख प्रयासों के बावजूद कांग्रेस क्यों नहीं उठ पाई इसके बारे में किसी पुराने नेता से पूछने पर बात आकर उनके निजी सचिव संदीप सिंह पर रुक जाती है. संगठन का ढांचा तय करने से लेकर प्रियंका से मुलाकात तक में उनके हस्तक्षेप के इतने किस्से सुनने को मिल जाएंगे कि आपको पहले यकीन ही नहीं होगा.
प्रियंका के मुलाकातियों की लिस्ट संदीप से ही होकर गुजरती रही है और जिसे वह नहीं चाहते, उसका नाम तक आगे नहीं जाता था. एक बार कमलापति त्रिपाठी के पौत्र ललितेश ने मीडिया से कहा था, 'संदीप ने नेतृत्व से मशविरे की गुंजाइश ही नहीं छोड़ी थी और उनके काम करने का तरीका निरंकुश था' कांग्रेस के प्रवक्ता और एआईसीसी मेंबर रह चुके जीशान हैदर ने एक बार बयान जारी कर कह चुके हैं, 'यूपी में कांग्रेस का जो हश्र हुआ, वह जेएनयू गैंग की वजह से हुआ है. इस गैंग का जो सरगना है वह प्रियंकाजी का नौकर है. इसके बाद जीशान को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.
संदीप और विवादों का नाता चोली-दामन सरीखा है. वह कांग्रेस में अपनी पैठ बनाने के लिए राहुल गांधी की टीम में शामिल हो गए. जब प्रियंका यूपी आईं तो संदीप उनके निजी सचिव होकर आए. यूपी में तो विवाद उनका पीछा ही नहीं छोड़ रहे थे. सोनभद्र में पत्रकार को धमकाने और सरकारी ड्राइवर से मारपीट का आरोप लगा. लॉकडाउन में बस विवाद, चुनाव प्रबंधन, टिकट बंटवारे और इससे जुड़े तमाम आरोप उनके ऊपर लगते रहे. एक महिला कांग्रेसी और बिग बॉस पार्टिसिपेंट ने भी संदीप सिंह पर गंभीर आरोप लगाए थे.
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