
प्राचीन मूर्तियों के सबूत, पूजा की पुरानी परंपरा... ज्ञानवापी के उस तहखाने की कहानी, जहां 30 साल बाद हुई पूजा
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Gyanvapi Case: वाराणसी कोर्ट ने हिंदू पक्ष को ज्ञानवापी के तहखाने में पूजा का अधिकार दे दिया है. 31 साल से व्यासजी के तहखाने में पूजा नहीं हो रही थी. इस मामले के वादी शैलेंद्र कुमार पाठक व्यास का दावा है कि उनकी कई पीढ़ियों ने तहखाने में पूजा की है और 1993 तक वो अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए तहखाने में स्थित देव प्रतिमाओं की पूजा सेवा करते थे.
Gyanvapi Case: ज्ञानवापी परिसर के तहखाने में पूजा का अधिकार मिलने के बाद 2 बजे रात कड़ी सुरक्षा के बीच यहां पूजा-अर्चना की गई. इसके साथ ही करीब 30 साल बाद ज्ञानवापी के तहखाने में आरती गूंजी.वाराणसी जिला अदालत ने पूजा पर लगी रोक हटाते हुए डीएम को 7 दिन के अंदर पूजा शुरू कराने का आदेश दिया था. यहां 1993 से पूजा पाठ बंद थी. कोर्ट के फैसले के फौरन बाद प्रशासन हरकत में आया और रात भर बैठकों का दौर चला. बाद में काशी विश्वनाथ ट्रस्ट बोर्ड की तरफ से पूजा अर्चना सुनिश्चित की गई.
काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद का केस तीन दशक से भी ज्यादा समय से अदालत में है. जबकि, ज्ञानवापी मस्जिद का इतिहास 350 साल से भी ज्यादा पुराना है. सबसे पहले जानते हैं कि ये पूरा मामला क्या है?
क्या है मामला?
दरअसल, इस केस में हिंदू पक्ष का दावा है कि नवंबर 1993 से पहले व्यास तहखाने में पूजा-पाठ को उस वक़्त की प्रदेश सरकार ने रुकवा दिया था. जिसको शुरू करने का पुनः अधिकार दिया जाए. वहीं, मुस्लिम पक्ष ने प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट का हवाला देते हुए याचिका को खारिज करने की मांग की थी.
अगस्त 2021 में पांच महिलाओं ने वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिविजन) के सामने एक वाद दायर किया था. इसमें उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद के बगल में बने श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजा और दर्शन करने की अनुमति देने की मांग की थी. महिलाओं की याचिका पर जज रवि कुमार दिवाकर ने मस्जिद परिसर का एडवोकेट सर्वे कराने का आदेश दिया था. कोर्ट के आदेश पर पिछले साल तीन दिन तक सर्वे हुआ था. सर्वे के बाद हिंदू पक्ष ने यहां शिवलिंग मिलने का दावा किया था. दावा था कि मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग है. हालांकि, मुस्लिम पक्ष का कहना था कि वो शिवलिंग नहीं, बल्कि फव्वारा है जो हर मस्जिद में होता है.
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