प्रशांत किशोर की कांग्रेस में एंट्री! वार्ता जारी है लेकिन...
AajTak
प्रशांत किशोर कांग्रेस में अपने लिए एक बड़ा रोल देखते हैं. ये रोल कितना बड़ा होगा इसे लेकर कांग्रेस में माथापच्ची जारी है. पांच राज्यों के चुनावी नतीजों के बाद गांधी कुनबा और पीके एक बार फिर से बातचीत के टेबल पर हैं, लेकिन इस बार टारगेट कोई विधानसभा चुनाव नहीं बल्कि 2024 का आम चुनाव है.
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर और कांग्रेस के बीच जुगलबंदी फिर से शुरू हो गई है, लेकिन ये इस साल के अंत में होने वाले गुजरात विधानसभा चुनावों के बारे में नहीं है. पहले खबरें आई थीं कि जब तक उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा के चुनावी नतीजे नहीं आ जाते कांग्रेस में प्रशांत किशोर की एंट्री पर आलाकमान ने पॉज बटन दबा दिया है.
लेकिन इन विधानसभा चुनावों के नतीजों ने कानाफूसी, सुगबुगाहट और डिरेल की कोशिश के बावजूद दोनों पक्षों को एक बार फिर बातचीत की मेज पर ला दिया है.
पता चला है कि प्रशांत किशोर 2024 से पहले किसी भी राज्य के विधानसभा चुनाव (गुजरात, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश) के मैनेजमेंट में कोई दिलचस्पी नहीं रख रहे हैं. पीके अब कांग्रेस में एक राजनेता के रूप में पूर्णकालिक भूमिका की तलाश में हैं. इसके बाद वे 2024 के लोकसभा चुनावों के कांग्रेस को तैयार करना चाहते हैं. दरअसल प्रशांत किशोर के राजनीतिक संपर्क पार्टी लाइन से परे जाते हैं. ममता बनर्जी, शरद पवार, एम के स्टालिन, उद्धव ठाकरे, अखिलेश यादव, के. चंद्रशेखर राव, हेमंत सोरेन, जगन मोहन रेड्डी से उनकी नजदीकियां जगजाहिर हैं.
...तब तक मोदी को बाहर करने की कोशिश कामयाब नहीं होगी
भारत में चुनावों की नब्ज पकड़ने में माहिर पीके का दृढ़ मत है कि जब तक; राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, उत्तराखंड, हिमाचल, महाराष्ट्र, असम, हरियाणा, झारखंड आदि राज्यों में जहां बीजेपी का कांग्रेस से सीधा मुकाबला है, इन राज्यों में कांग्रेस बीजेपी को हराना शुरू नहीं करती है तब तक नरेंद्र मोदी को सरकार से बाहर करने के लिए किया गया विपक्ष का संयुक्त प्रयास फलीभूत नहीं हो सकता है. कांग्रेस को 200 से अधिक लोकसभा सीटों को प्राथमिकता देने की जरूरत है जहां पार्टी का सीधा मुकाबला भाजपा से है.
...फिर विपक्ष की उम्मीदें आशाजनक हो जाएंगी
केरल में कांग्रेस की अगुवाई वाली यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट ने लोकसभा चुनाव में बाजी मार ली. इस बीच मुस्लिम लीग की चर्चा हो रही है. कांग्रेस के साथ UDF अलायंस में शामिल इस पार्टी ने दो सीटें पाई हैं. नाम के चलते इसे देश के बंटवारे के लिए जिम्मेदार मुस्लिम लीग और जिन्ना से जोड़ा जाता है, लेकिन क्या वाकई ऐसा है?
बैठक में चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार ने इस बात पर जोर दिया कि बिना समय गंवाए जल्द से जल्द सरकार का निर्माण पूरा किया जाए. ईन डी ए की इस बैठक के साथ ही नीतीश और नायडू को लेकर चल रही अटकलें खत्म हो गई. नायडू ने अटकलों पर विराम लगा दिया लेकिन खबर है कि टी डी पी की तरफ से मांगों की फहरिस्त रखी गई है. इसमें शामिल है लोक सभा स्पीकर का पद. टी डी पी को मिले मंत्रिमंडल में टी डी पी से पांच से छह मंत्री होने की सूत्रों के मुताबिक टी डी पी ने सड़क, परिवहन, ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य, आवास और शहरी विकास, जल शक्ति और वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री की मांग रखी है.