
प्रशांत किशोर का 'बिहार प्लान' एनडीए और महागठबंधन में किसे और कहां-कहां चोट करेगा?
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चुनाव रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर राजनीतिक दलों की दुनिया में जन सुराज की एंट्री का ऐलान करने वाले हैं. जन सुराज बिहार की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कर रही है. पीके का बिहार प्लान एनडीए और महागठबंधन में से किसे और कहां-कहां चोट करेगा?
चुनाव रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर (पीके) ने ऐलान किया है कि जनसुराज बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी. पीके ने पटना के बापू भवन में महिला संवाद कार्यक्रम के दौरान यह ऐलान किया और साफ कहा कि उनकी पार्टी किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं करेगी. बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. जनसुराज पद यात्रा के जरिये बिहार को मथने के बाद पीके 2 अक्टूबर को जनसुराज को राजनीतिक दल बनाने का आधिकारिक ऐलान करने वाले हैं.
जनसुराज को राजनीतिक दल बनाने के ऐलान से पहले प्रशांत किशोर ने बिहार चुनाव को लेकर अपना प्लान साफ कर दिया है. ऐसे में अब बात इसे लेकर भी हो रही है कि सूबे की हर सीट पर उम्मीदवार उतारने जा रहे पीके का बिहार प्लान सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और विपक्षी महागठबंधन में किसे और कहां-कहां चोट करेगा?
क्या है पीके का बिहार प्लान
पीके ने अपनी जनसुराज यात्रा के दौरान उन मुद्दों पर अधिक फोकस किया जो लंबे समय से सियासत में उपेक्षित चल रहे थे. पीके ने पलायन, गरीबी, अशिक्षा जैसे मुद्दों की बात की. बाढ़ की विभीषिका को फोकस पॉइंट बनाया और जातिवाद-वंशवाद की राजनीति को भी निशाने पर रखा. पीके सर्वधर्म समभाव और महात्मा गांधी की बात करते हैं और जनसुराज की राजनीतिक दल के रूप में मैदान में आने का आधिकारिक ऐलान करने के लिए भी राष्ट्रपिता की जयंती के दिन 2 अक्टूबर को ही चुना. इसके पीछे विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की ओर से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की बी टीम बताने वाले नैरेटिव की काट भी रणनीति है.
बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने पीके को लेकर कहा था, "वह बीजेपी के सिर्फ एजेंट नहीं, दिमाग हैं. वह बीजेपी की विचारधारा का पालन करते हैं. बीजेपी अपनी रणनीति के तहत उन्हें फंडिंग करती है." आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद ने पीके के पार्टी बनाने के ऐलान पर कहा था- लोकसभा चुनाव में में वह किसके लिए बैटिंग कर रहे थे, सबको पता है. जनसुराज के प्रवक्ता संजय ठाकुर ने आरजेडी के आरोप पर कहा था, "जन सुराज अगर बीजेपी की बी टीम होती तो गांधी की विचारधारा को लेकर चलने का क्या औचित्य था? गांधी की विचारधारा सर्वधर्म समभाव की रही है और दूसरी तरफ बीजेपी- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा है."
पीके की पार्टी आधिकारिक तौर पर सियासी मैदान में एंट्री करने से पहले विपक्ष के इस नैरेटिव को काटने की कोशिश में हैं. जनसुराज की डेब्यू डेट और प्रवक्ता के बयान तो इसी तरफ संकेत करते हैं. एक रणनीतिकार जब अपनी पार्टी लॉन्च करने जा रहा है, प्लान भी होंगे. अब सवाल ये भी है कि आखिर पीके का बिहार प्लान क्या है जिसे लेकर सत्ता पक्ष से विपक्ष तक, हर तरफ हलचल है. इसे चार पॉइंट्स में समझा जा सकता है- 1- उन वोटर्स पर फोकस जो बदलाव चाहते हैं, 2- संगठन से लेकर सत्ता तक आबादी के अनुपात में भागीदारी, 3- गरीबी-पलायन पर फोकस, 4- महिलाओं और प्रबुद्ध वर्ग पर फोकस.

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