पॉपुलैरिटी से परेशानी या सियासी समीकरण... पप्पू यादव से कन्नी क्यों काट रही RJD?
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आगामी लोकसभा चुनाव में पूर्णिया सीट पर जीत या हार, पप्पू यादव का मौजूदा राजनीतिक कद न सिर्फ इस सीट पर बल्कि आसपास के इलाकों में भी निर्धारित करेगी. लोकसभा चुनाव 2024 का परिणाम बिहार की राजनीति में लालू की राजनीतिक विरासत के एक्सेप्टेंस के आसपास घूमेगी. इस पर विपक्ष का परिवारवाद वाला तड़का बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में इस बहस में और भी स्वाद भर सकता है.
पॉपुलैरिटी (लोकप्रियता) और पोल मैनेजमेंट (चुनाव प्रबंधन) राजनीति के खेल में ऐसे 2 हथियार हैं, जो आपका खेल बुरी से बुरी परिस्थिति में भी बना सकते हैं. अगर किसी को लगने लगे कि इस गेम में वो लगातार पिछड़ रहा है, तो इन 2 काबिलियत के भरोसे किसी विरोधी का खेल बिगाड़ा भी जा सकता है. बिहार की राजनीति में राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव के चारों ओर जो घट रहा है, वह सूबे की राजनीति और खासकर पूर्णिया के लिए काफी अहम है. आगामी लोकसभा चुनाव में पूर्णिया सीट पर जीत या हार, पप्पू यादव का मौजूदा राजनीतिक कद न सिर्फ इस सीट पर बल्कि आसपास के इलाकों में भी निर्धारित करेगी. वहीं, आरजेडी और पप्पू यादव के लिए नाक का सवाल बन चुकी पूर्णिया सीट का परिणाम लालू यादव की 2 बेटियों मीसा और रोहिणी की सीट (क्रमशः पाटलिपुत्र और सारण) के मुकाबले क्या आता है, ये बिहार में आगे की राजनीति की दिशा तय करने में बाकी दलों की मदद कर सकता है.
लालू की विरासत पर छिड़ जाएगी नई बहस
2025 में बिहार में विधानसभा चुनाव होना है. इससे पहले लोकसभा चुनाव 2024 का रण है. जिसमें RJD सुप्रीमो लालू यादव ने अपनी दो बेटियों को चुनावी मैदान में उतार दिया है. सारण सीट से जहां लालू की बेटी रोहिणी आचार्य का नाम फाइनल हो चुका है. वहीं, पाटलिपुत्र सीट से मीसा भारती को टिकट देने की चर्चा है. ये दोनों सीटें आरजेडी बीते दो लोकसभा चुनाव (2014 और 2019) में नहीं जीत सकी थी. ऐसे में इन दोनों सीटों पर 2024 का परिणाम भी अगर बीते 2 लोकसभा चुनावों की तर्ज पर रहा और पप्पू यादव अपनी सीट निकालने में कामयाब रहे, तो सूबे में एक नई राजनीतिक बहस छिड़ना तय है. ये बहस बिहार की राजनीति में लालू की राजनीतिक विरासत के एक्सेप्टेंस के आसपास घूमेगी. इस पर विपक्ष का परिवारवाद वाला तड़का बिहार विधानसभा चुनाव में इस बहस में और भी स्वाद भर सकता है.
RJD के लिए कम नहीं है चुनौतियां
2004 के लोकसभा चुनाव में RJD ने अपना सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया था. इस चुनाव में RJD ने राज्य में कुल 22 लोकसभा की सीटें जीती थीं. इसके बाद से लोकसभा चुनावों में RJD का प्रदर्शन राज्य में लगातार गिरा है. 2009 के आम चुनाव में राजद 22 सीटों से गिरकर 4 पर सिमट गई थी. वहीं, 2014 के आम चुनाव में भी पार्टी के हाथ महज 4 सीटें ही आई थीं. 2019 आते-आते लोकसभा से पार्टी गायब ही हो गई. 2019 की मोदी लहर में RJD एक भी सीट नहीं जीत सकी थी.
खोई विरासत हासिल करने का दबाव
एग्जिट पोल का अनुमान बताता है कि बीजेपी और महायुति को जितनी सीटों पर जीतने की उम्मीद थी, वो पूरी होती नहीं दिख रही है. एग्जिट पोल में महाराष्ट्र की 48 सीटों में से बीजेपी को 20-22, कांग्रेस को 3-4, शिवसेना (ठाकरे गुट) को 9-11, शिवसेना (शिंदे गुट) को 8-10, एनसीपी (शरद पवार) को 4-5 और एनसीपी (अजित पवार) को 1-2 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है.
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