
पैरोल पर जेल से बाहर आए पूर्व सांसद आनंद मोहन, बोले- ये मुक्ति अस्थाई
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पूर्व सांसद आनंद मोहन 15 दिन की पैरोल पर जेल से बाहर आए. जेल से बाहर निकलने के बाद आनंद मोहन ने कहा कि शुभ काम से बाहर निकले हैं. प्रायोजन क्या है ये आपको पता है. सबको आजादी अच्छी लगती है. जितने दिन बाहर रहूंगा समर्थकों और सभी अपील है कि मेरा साथ दें.
बिहार के गोपालगंज के डीएम जी. कृष्णैया हत्याकांड में सजायाफ्ता पूर्व सांसद आनंद मोहन 15 दिन की पैरोल पर जेल से बाहर आए हैं. बेटी की इंगेजमेंट और बुजुर्ग मां के खराब स्वास्थ्य के कारण उन्हें 15 दिन की पैरोल मिली है. जेल से निकलने की सूचना मिलते ही भारी संख्या में उनके समर्थक जेल के बाहर पहुंचे थे.
जेल से बाहर निकलने के बाद आनंद मोहन ने मीडिया से कहा कि शुभ काम से बाहर निकले हैं. प्रायोजन क्या है ये आपको पता है. सबको आजादी अच्छी लगती है. जितने दिन बाहर रहूंगा समर्थकों और सभी अपील है कि मेरा साथ दें. आनंद मोहन ने कहा कि ये अस्थाई मुक्ति है. इसमें बहुत कुछ बंधा हुआ है.
कोसी की धरती पर पैदा हुए आनंद मोहन सिंह बिहार के सहरसा जिले के पचगछिया गांव के रहने वाले हैं. उनके दादा राम बहादुर सिंह एक स्वतंत्रता सेनानी थे. राजनीति से उनका परिचय 1974 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति आंदोलन के दौरान हुआ. इसके लिए उन्होंने अपना कॉलेज तक छोड़ दिया. इमरजेंसी के दौरान उन्हें 2 साल जेल में भी रहना पड़ा. कहा जाता है कि आनंद मोहन सिंह ने 17 साल की उम्र में ही अपना सियासी करियर शुरू कर दिया था.
राजनीति में ऐसे हुई एंट्री
साल 1990 में जनता दल (JD) ने उन्हें माहिषी विधानसभा सीट से मैदान में उतारा था. इसमें उन्हें जीत मिली थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, विधायक रहते हुए भी आनंद एक कुख्यात सांप्रदायिक गिरोह के अगुआ थे, जिसे उनकी 'प्राइवेट आर्मी' कहा जाता था. ये गिरोह उन लोगों पर हमला करता था जो आरक्षण के समर्थक थे.
5 बार लोकसभा सांसद रहे राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव के गैंग के साथ आनंद मोहन की लंबी अदावत चली. उस वक्त कोसी के इलाके में गृह युद्ध जैसी स्थिति पैदा हो गई थी. जब सत्ता में बदलाव हुआ खासकर 1990 में, तो राजपूतों का दबदबा बिहार की राजनीति में कम हो गया.

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