
पुतिन के बदले का खौफ... क्या दुनिया के लिए 'पर्ल हार्बर मोमेंट' साबित होगा क्रीमिया ब्रिज पर यूक्रेन का हमला?
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पर्ल हॉर्बर की घटना ने द्वितीय विश्व युद्ध की धारा ही बदल दी. छोटे से मगर बुलंद इरादों वाले जापान ने पर्ल हॉर्बर पर हमला करके अमेरिका को ऐसी चोट दी कि उसे सेकेंड वर्ल्ड वार में कूदना पड़ा. क्या क्रीमिया ब्रिज पर हमला आधुनिक विश्व के लिए ऐसा ही टर्निंग प्वाइंट साबित होने वाला है. पुतिन की शान का प्रतीक कहने जाने वाले 19 किलोमीटर लंबे इस ब्रिज पर हमले के बाद रूस ऐसा ही बिलबिलाया हुआ है.
दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों के संगठन G-7 ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को सख्त से सख्त शब्दों में चेतावनी देते हुए कहा है अगर रूस परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करता है तो इसका अंजाम बहुत ही बुरा होगा. जी-7 देशों की वार्निंग से इतर पुतिन की सेना लगातार यूक्रेन पर बम और मिसाइल बरसा रही है. पुतिन का ये बदला-बदला आक्रामक अंदाज रूस की शान कहे जाने वाले क्रीमिया ब्रिज पर हमले के बाद दिख रहा है. सोमवार को उन्होंने अपनी सेनाओं को यूक्रेन पर मिसाइलों से हमले करने का आदेश दिया. इसके बाद यूक्रेन में रूसी सेनाओं का कहर देखने को मिल रहा है. इसे 24 फरवरी को जंग शुरू होने के बाद मास्को का सबसे बड़ा हवाई हमला कहा जा रहा है.
क्रीमिया ब्रिज पर हमले से पुतिन प्रशासन बिलबिलाया हुआ है. इस ब्रिज को पुतिन रूस की शान समझते थे. लेकिन एक भीषण ब्लास्ट में 3 खरब रुपये की लागत से बीच समंदर में बना ये ब्रिज तबाह हो गया है. इस घटना से रूसी सैनिकों के मनोबल को तगड़ा झटका लगा है. अब दुनिया इस खौफ में है कि इस हमले का बदला लेने के लिए पुतिन कई अपने टैक्टिकल परमाणु हथियारों का इस्तेमाल यूक्रेन के खिलाफ न कर दें.
क्या हुआ था पर्ल हॉर्बर में
रूस यूक्रेन वार का जो मौजूदा हाल है उससे दूसरे विश्व युद्ध की याद आती है. जब 7 दिसंबर 1941 में जापान ने अमेरिका के नौसैनिक अड्डे पर्ल हॉर्बर पर हमला किया था. इस क्रूर हमले में जापान ने अमेरिका को पानी पिला दिया था. 90 मिनट की इस बमबारी में ढाई हजार से ज्यादा अमेरिकी सैनिक मारे गए थे. पर्ल हॉर्बर हवाई द्वीप में मौजूद अमेरिका का नौसैनिक सैन्य अड्डा है. जापान ने अमेरिका के कई युद्धपोत, पनडूब्बी को समंदर में डूबो दिया, 500 से ज्यादा हवाई जहाज नष्ट कर डाले. अमेरिका नुकसान अरबों डॉलर में था. छोटे से जापान ने पर्ल हॉर्बर में अपनी नौसैनिक और हवाई ताकत का ऐसा परिचय दिया कि दुनिया की ताकतें हैरान रह गई. दुनिया की महाशक्ति अमेरिका पर ये जापान का डायरेक्ट हमला था.
पर्ल हॉर्बर हमले के बाद वर्ल्ड वार में हुई अमेरिका की एंट्री
जान-माल के नुकसान के अलावा इस अटैक का रणनीतिक महत्व ये है कि इस हमले से पहले अमेरिका दूसरे विश्व युद्ध में तटस्थ था. लेकिन हमले के अगले ही दिन यानी कि 8 दिसंबर 1941 को अमेरिका इस विश्वयुद्ध में औपचारिक रूप से शामिल हो गया.

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