पुणे पोर्श कांड: नाबालिग आरोपी की जमानत रद्द, जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने बाल सुधार गृह में भेजा
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जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने बुधवार को पुणे पोर्श हादसे में 17 वर्षीय नाबालिग आरोपी की जमानत रद्द कर दी. अब उसे बाल सुधार गृह में भेज दिया गया है. इससे पहले पुलिस ने उसके बिल्डर पिता को गिरफ्तार किया गया था जिसे कोर्ट ने 24 मई तक पुलिस रिमांड में भेज दिया है.
जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने बुधवार को पुणे पोर्श हादसे में 17 वर्षीय नाबालिग आरोपी की जमानत रद्द कर दी. अब उसे बाल सुधार गृह में भेज दिया गया है. इससे पहले पुलिस ने उसके बिल्डर पिता को गिरफ्तार किया गया था जिसे कोर्ट ने 24 मई तक पुलिस रिमांड में भेज दिया है. 19 मई को पोर्श कार की टक्कर में बाइक सवार युवक और युवती की मौत हो गई थी.
पुणे पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि जेजे बोर्ड ने नाबालिग आरोपी को 5 जून तक बाल सुधार गृह में भेज दिया है. पुणे पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने कहा कि नाबालिग आरोपी पर एक वयस्क की तरह मुकदमा चलाया जाना चाहिए. इसके लिए पुलिस ने ऊपरी अदालत से अनुमति मांगी है.
नाबालिग के पिता पर फेंकी स्याही
बता दें कि पुणे पुलिस ने मंगलवार को विशाल अग्रवाल को छत्रपति संभाजी नगर से गिरफ्तार किया था. विशाल की आज कोर्ट में पेशी थी. दोपहर में पुलिस जैसे ही विशाल को सत्र न्यायालय ले जाने के लिए निकली तो रास्ते में एक संगठन से जुड़े लोगों ने विशाल पर स्याही फेंक दी. कार्यकर्ताओं ने हंगामा किया और पुलिस वैन को रोकने की कोशिश की. मौके पर पुलिस ने मोर्चा संभाला और भीड़ को हटाया. उसके बाद पुलिस वैन आगे बढ़ गई.
क्या है पूरा मामला?
पुणे में 17 साल के लड़के ने तीन दिन पहले शराब के नशे में अपनी पोर्श कार से बाइक सवार दो इंजीनियरों को रौंद दिया था. हादसे में दोनों (लड़का-लड़की) की मौत हो गई थी. मरने वालों की पहचान अनीश अवधिया (24 साल) और अश्विनी कोष्टा (24 साल) के रूप में हुई है. दोनों मध्य प्रदेश के रहने वाले थे और पुणे में काम करते थे.
लगभग 37 लाख की आबादी वाले मणिपुर के इतिहास में कई घटनाएं हुई हैं. लेकिन पिछले 1 साल में मणिपुर में जो हुआ, इसकी कल्पना किसी ने भी नहीं की होगी. अदालत के एक आदेश के बाद 3 मई 2023 को मणिपुर की घाटी और पहाड़ों में रहने वाले 2 समुदायों के बीच ऐसी जंग छिड़ गई थी, जिसका अभी तक अंत नहीं हो सका है. इंफाल समेत पूरी घाटी में रहने वाले मैतेई बहुल इलाकों और घाटी के चारों तरफ पहाड़ों पर रहने वाले कुकी आदिवासी बहुल इलाकों के बीच एक अनकही खाई बन गई है.
डीजीपी ने कहा, 'जब आप किसी खतरे या चुनौती के बारे में बात करते हैं तो आप देखते हैं कि यह कितना गंभीर या बड़ा है. चुनौतियां सीमा पार से आ रही हैं और टेरर हैंडलर्स ने तय किया है कि वे इस तरह की आतंकी गतिविधियां को जारी रखेंगे. वे देख रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के दिन अब गिनती के रह गए हैं क्योंकि घाटी में आतंकी ढांचे को बड़ा झटका लगा है.'