'न कारोबार कर पा रहे, न बच्चों की पढ़ाई हो रही', भारत में मौजूद अफगान शरणार्थियों का दिल्ली में प्रदर्शन
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भारत में कई सालों से रह रहे अफगान शरणार्थियों ने सोमवार को दिल्ली के वसंत विहार स्थित UNHCR के दफ्तर के बाहर प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों में बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हुए.
अफगानिस्तान (Afghanistan) पर 20 साल बाद फिर से तालिबान (Taliban) का शासन शुरू हो गया है. तालिबान का कब्जा होते ही लोग वहां से किसी भी कीमत पर निकलने की कोशिश में जुट गए हैं. हजारों लोगों को वहां से अब तक निकाला भी जा चुका है. इस बीच दिल्ली में रह रहे अफगान शरणार्थियों (Afghan Refugees) ने प्रदर्शन किया. ये प्रदर्शन दिल्ली में स्थित यूनाइटेड नेशंस हाई कमिश्नर फॉर रिफ्यूजीस (UNHCR) के दफ्तर के बाहर किया गया.नवाज शरीफ ने 25 साल बाद एक गलती स्वीकार की है. ये गलती पाकिस्तान की दगाबाजी की है. 20 फरवरी 1999 को दिल्ली से जब सुनहरी रंग की 'सदा-ए-सरहद' (सरहद की पुकार) लग्जरी बस अटारी बॉर्डर की ओर चली तो लगा कि 1947 में अलग हुए दो मुल्क अपना अतीत भूलाकर आगे चलने को तैयार हैं. लेकिन ये भावना एकतरफा थी. पाकिस्तान आर्मी के मन में तो कुछ और चल रहा था.
देश के ज्यादातर मैदानी इलाकों में पड़ रही प्रचंड गर्मी के बीच दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) वीके सक्सेना ने बड़ा फैसला लिया है. LG ने निर्देश दिया है कि इस भीषण गर्मी में मजदूरों को 12 बजे से लेकर 3 बजे तक काम से छुट्टी मिलेगी. साथ ही मजदूरों को मिलने वाली इस राहत के बदले कोई भी उनकी सैलरी नहीं काट सकेगा.
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