
नीतीश के लिए आसान नहीं NDA की डगर, RJD से मुक्ति के लिए ये 5 साधना होगी जरूरी
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बिहार के सीएम नीतीश कुमार आरजेडी से खफा हैं. इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती है. हो सकता है कि ललन सिंह को कल कार्यसमिति की बैठक में बाहर का रास्ता भी दिखा दिया जाए. पर एनडीए में नीतीश की दोबारा वापसी इतनी आसान नहीं है.
इंडिया गठबंधन की चौथी बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के पीएम कैंडिडेट के रूप में नाम बढ़ाने से खफा हुए नीतीश कुमार ने कल (29 दिसंबर) अपनी पार्टी की बड़ी बैठक बुलाई हुई है. इस बैठक के बुलाए जाने के बाद से अटकलें लग रही हैं कि नीतीश कुमार फिर कोई चौंकाने वाला फैसला ले सकते हैं? कहा जा रहा है कि वो एक बार एनडीए का दामन थाम सकते हैं. पर क्या इतना आसान है?
चुनावी रणनीतिकार और जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर कहते रहे हैं कि नीतीश कुमार का अपना राजनीति स्टाइल है. वह एक दरवाजे को खोलते हैं और पीछे से खिड़की और रोशनदान दोनों को खोलकर रखते हैं. किसकी कब जरूरत पड़ जाए.पिछले एक हफ्ते में बीजेपी के स्वर्गीय नेताओं पूर्व पीएम अटलबिहारी वाजपेयी और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली के कार्यक्रम में पहुंचकर नीतीश कुमार ने कुछ ऐसे ही संदेश दिया है जिससे लगता है कि वो एनडीए में फिर से वापसी करना चाहते हैं. पर उनकी वापसी केवल एनडीए की लिए ही नहीं बल्कि खुद उनके लिए भी मुश्किल होने वाली है. एनडीए तक की डगह पार करने के लिए उनके और एनडीए को कुल 5 बाधाओं को पार करना होगा.
1- सीएम पद की देनी होगी कुर्बानी
सबसे बड़ी कुर्बानी नीतीश कुमार के लिए ये होगी कि नीतीश कुमार को अपनी मुख्यमंत्री की सीट कुर्बान करनी पड़ेगी. बीजेपी अगर नीतीश के साथ डील करती है तो इस बार बिना सीएम पद के बात नहीं बनने वाली है. बिहार में अब नीतीश बड़े भाई की भूमिका में नहीं होंगे.नीतीश कुमार को दिल्ली जरूर बुलाया जा सकता है. अगर नीतीश को केंद्र सरकार में मंत्री पद नहीं चाहिए होगा तो किसी राज्यपाल बनाया जा सकता है. यह भी हो सकता है कि उन्हें जार्ज फर्नाडिस की तरह एनडीए का संयोजक भी बना दिया जाए.
2- चिराग और मांझी जैसे नेताओं के साथ खुद को एडजेस्ट करना होगा
हो सकता है कि बिहार में बीजेपी सभी सीटें जीतने के चक्कर में एक बार नीतीश कुमार को लाने के बारे में सोचे भी तो एनडीए में शामिल दूसरे दलों का क्या होगा? नीतीश कुमार की जिद की वजह से ही लोजपा रामविलास प्रमुख चिराग पासवान को एनडीए से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था. नीतीश के एनडीए छोड़ने के बाद ही चिराग की रीएंट्री हुई है. अब स्थितियां बदल गईं हैं. नीतीश कुमार को चिराग पासवान के साथ खुद को एडजस्ट करना होगा. इसी तरह से पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा जो पहले जेडीयू में ही थे अब नीतीश कुमार पर हमलावर रहते हैं. इन सबके तल्खी का लेवल हाइट पर पहुंच चुका है. नीतीश कुमार को न केवल चिराग पासवान बल्कि जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा के साथ भी खुद को एडजेस्ट करना होगा.

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