नीतीश कुमार और तेजस्वी की दोबारा जोड़ी बनाने में प्रशांत किशोर का क्या रोल है? खुद दिया ये जवाब
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बिहार में आज नीतीश कुमार आठवीं बार सीएम पद की शपथ लेने जा रहे हैं. इस बार महागठबंधन के सहयोग से नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बन रहे हैं और सरकार बना रहे हैं. इसको लेकर राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बताया कि इसमें उनका कोई योगदान नहीं था और न ही कोई भूमिका है.
बिहार में आज नीतीश कुमार आठवीं बार सीएम पद की शपथ लेने जा रहे हैं. इस बार महागठबंधन के सहयोग से नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बन रहे हैं और सरकार बना रहे हैं. इसको लेकर राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बताया कि इसमें उनका कोई योगदान नहीं था और न ही कोई भूमिका है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी कोई इच्छा भी नहीं है.
वहीं जब आजतक ने उनसे पूछा कि इस बिहार के इस बदलाव को किस रूप में देखते हैं तो प्रशांत ने कहा कि 2012-13 से 10 साल में ये छठवीं सरकार है. बिहार में जो राजनीतिक अस्थिरता का दौर शुरू हुआ है ये उसी का अगला अध्याय है. इसमें दो चीजें स्थिर हैं, जिनमें पहली चीज है कि नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने हुए हैं और अगली बात है कि बिहार की बदहाल स्थिति बनी हुई है.
चुनावी रणनीतिकार ने कहा कि नीतीश कुमार ने अलग-अलग फॉर्मेशन ट्राई किए हैं. हालांकि बिहार की नई सरकार को शुभकामनाएं. जब प्रशांत किशोर से पूछा गया कि जब बिहार में जब महागठबंधन बन रहा था तो आप प्रमुख स्तंभ थे. अब फिर राज्य में महागठबंधन की सरकार बन रही है तो आपको क्या लगता है कि नीतीश इसको छोड़कर गए थे तो गलती थी क्या उनकी? इसको लेकर उन्होंने कहा कि 2015 में जब महागठबंधन बना था तो उसका दूसरा परिपेक्ष्य था. वो 2013 में एनडीए छोड़कर आए थे और उस एजेंडे पर चुनाव लड़ा गया था कि मोदी जी के विकल्प के तौर पर नीतीश कुमार दिखाई दिए थे. चुनाव महागठबंधन के साथ मिलकर लड़े थे, हालांकि बाद में एनडीए में चले गए. लेकिन बाद में महागठबंधन से मिलकर चुनाव नहीं लड़े थे जीतकर एनडीए से आए थे. इसलिए ये गवर्नेंस का मॉडल है इसमें चुनावी राजनीति नहीं हुई है.
शराबबंदी और नौकरी पर बोले पीके
उन्होंने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री में अंतर नहीं आया है. बिहार की स्थिति में भी कोई अंतर नहीं आया. कल उन्होंने कहा कि बिहार में एक नए अध्याय की शुरूआत है. इससे जनता की समस्या का समाधान होता है तो उनका स्वागत है. अगर कोई नई सरकार बनती है तो अपेक्षा होती है कि कुछ बेहतर होगा. आरजेडी जब विपक्ष में थी तब शराबबंदी की आलोचना कर रही थी अब वो सरकार में हैं तो देखते हैं कि उसपर उसका क्या स्टैंड होगा. 10 लाख की नौकरी पर उनका क्या स्टैंड होगा. ये देखना होगा.
नीतीश के करियर ग्राफ में आई गिरावट
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