नस्ली भेदभाव से शिकस्त खाकर कर रहे थे खुदकुशी, किसी की आवाज सुनकर जीत लिया ओलंपिक मेडल
Zee News
क्लार्क सबसे आगे भाग रहे थे, फिनिशिंग लाइन नजदीक थी, तभी अचानक से बिली ने स्पीड पकड़ी. वह अंतिम क्षणों में भागते हुए आगे आए. दोनों धावकों के साथ ही पूरी दुनिया को हैरान करते हुए सबसे पहले रेस खत्म कर गोल्ड जीत ली .
अश्विन सोलंकी/नई दिल्लीः बिली मिल्स की प्रेरक कहानी (Billy Mills Inspirational Story) नस्ली भेदभाव की वजह से जो खिलाड़ी कभी अपनी जिंदगी खत्म करना चाहता था. उसी खिलाड़ी ने अपने बाप की दी हुई एक सीख से अपनी जिंदगी के सबसे अहम ख्वाब को मुकम्मल कर लिया. ओलिंपिक्स में ढे़र सारी दुश्वारियों और नाउम्मीदी में भी अपने मुल्क के लिए गोल्ड जीता और तारीख के पन्नों में अपनी प्रेरणादायक कहानी को हमेशा-हमेशा के लिए दर्ज करवाया दिया. हम बात कर रहे हैं धावक बिली मिल्स की, जिन्होंने 1964 के टोक्यो ओलिंपिक्स (1964 Tokyo Olympics) में अमेरिका के लिए गोल्ड जीता था. एथलीट स्कोलरशिप से शुरू हुई कहानी अमेरिका के साउथ डकोटा में पैदा हुए बिली मिल्स बेहद गरीब खानदान से ताल्लुक रखते थे. उनकी जिंदगी के शुरुआती दौर में उन्हें बड़ा झटका लगा जब 8 साल की उम्र में उनकी मां और 12 साल की उम्र में उनके वालिद ने उनका साथ छोड़कर इस दुनियाए फानी को अलविदा कह दिया. बचपन से ही वह खेलों में अच्छे थे, 1958 में उन्हें एथलीट स्कॉलरशिप से कनसास यूनिवर्सिटी में दाखिला मिला गया. यहां उन्हें कई एथलेटिक इवेंट में हिस्सा लेने का मौका मिला.More Related News
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