नटराज की प्रतिमा, योग मुद्राएं और कोणार्क चक्र...G20 के बहाने दुनिया ने क्या-क्या देखा!
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PM मोदी ने आज जी 20 समिट के पहले दिन दुनिया भर के लीडर्स से भारत मंडपम के कन्वेंशन हॉल में मुलाकात की. इस खास मौके के लिए कन्वेंशन हॉल को भारतीय कला और संस्कृति में सजाया गया था.
G20 Summit in India: आज जी-20 शिखर सम्मेलन (G20 Summit 2023) का पहला दिन है. इस सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन समेत कई बड़े देशों के लीडर्स और प्रतिनिधियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रगति मैदान के भारत मंडपम में मुलाकात की. जी 20 के कार्यक्रम के पहले दिन प्रगति मैदान के भारत मंडपम में जहां वैश्विक नेता इकट्ठे हुए उसे भारतीय कला और संस्कृति के प्रतीक योग, कोणार्क चक्र और नटराज की प्रतिमा से सजाया गया था.
भारत मंडपम में सजा कोणार्क व्हील PM मोदी जहां विदेशी नेताओं के साथ तस्वीर खिंचा रहे थे, वहां बैकग्राउंड एक बडे़ से पहिए को लगा देखा जा सकता है जो ओडिशा का कोणार्क चक्र है. इसे जी-20 समिट में प्रदर्शन करने के कई अहम मायने हैं. कोणार्क चक्र को 13वीं सदी में राजा नरसिंहदेव-प्रथम के शासन में बनाया गया था. 24 तीलियों वाले चक्र को भारत के राष्ट्रीय झंडे में भी इस्तेमाल किया गया है. कोणार्क चक्र लगातार बढ़ते समय की गति, कालचक्र के साथ-साथ प्रगति और निरंतर परिवर्तन का प्रतीक है. यह लोकतंत्र के पहिये के एक शक्तिशाली प्रतीक के रूप में कार्य करता है.
नटराज प्रतिमा की खासियत भारत मंडपम में कन्वेंशन हॉल के प्रवेश द्वार पर 28 फुट ऊंची नटराज की प्रतिमा लगाई गई थी. यह प्रतिमा भगवान शिव को 'नृत्य के देवता' और सृजन व विनाश के रूप में परिभाषित करती है. 19 टन की यह मूर्ति तमिलनाडु के स्वामीमलाई के एस. देवसेनाथिपति स्टापति पुत्रों ने बनाई है.
इस आठ धातु की मूर्ति को बनाने के लिए पारंपरिक चोल शिल्प का उपयोग किया जाता है. प्रतिमा आठ धातुओं से बनी है. इसमें लगभग 82 प्रतिशत तांबे का उपयोग किया गया है और 15 प्रतिशत कांस्य, 3 प्रतिशत सीसा बाकी सोना, चांदी, टिन और पारा शामिल है.
भारत मंडपम में नटराज की प्रतिमा का लगाने के पीछे धार्मिक और ऐतिहासिक दोनों कारण हैं. दरअसल नटराज का ये स्वरूप शिव के आनंद तांडव का प्रतीक है. नटराज की प्रतिमा में आपको भगवान शिव की नृत्य मुद्रा नजर आएगी. साथ ही वो एक पांव से दानव को दबाए हैं. ऐसे में शिव का ये स्वरूप बुराई के नाश करने और नृत्य के जरिए सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने का संदेश देता है. ऐसे में यहां आने वाले सभी मेहमानों को ये प्रतिमा ब्रह्मांडीय ऊर्जा, रचनात्मकता और शक्ति के मिश्रण के प्रतीक के रूप में नजर आएगी.
भारत मंडपम में योग कला भी प्रदर्शित की गई नटराज और कोणार्क चक्र के अलावा योग मुद्रा की प्रतिमा भी लगाई गई थी. योग भारतीय सभ्यता की विश्व को देन है. कहा जाता है कि योग ने पूरी दुनिया को एकजुट करने का काम किया है. इतना ही नहीं इस दौरान हॉल में कश्मीर से कन्याकुमारी तक अलग कलाओं और प्रतीकों के चिन्हों को दर्शाया गया था.
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