
द बिग बुलः सिस्टम की खामियों ने आसमान तक पहुंचाया फिर कटी पतंग हो गई जिंदगी
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'द बिग बुल' में मेन किरदार के रूप में हैं अभिषेक बच्चन जिनका नाम रखा गया है हेमंत शाह. हेमंत शाह एक कंपनी में जॉब करता है लेकिन उसकी सोच, उसके इरादे बड़े हैं. उसका भाई शेयर मार्केट में काम कर रहा है लेकिन उसे कोई खास फायदा नहीं हो रहा है.
'जिंदगी में दो चीजें जरूरी होती हैं एक पानी और एक सोना. पानी के बिना जिया नहीं जा सकता लेकिन भाव सोने का होता है'. वह सोना बनना चाहता था. 'थोड़ी से किस्मत साथ देती और थोड़े से कॉन्टैक्ट होते तो वह शहर को आसमान पर पहुंचा देता'. उसे ऊंचाई हासिल करनी थी. उसे तेज चलने की आदत थी. वह धीमे चल ही नहीं सकता था. वह रिस्क लेना चाहता था. वह खामियों को अवसर में बदलना जानता था. उसके पास सबसे अच्छे दोस्त और भाई थे. उसने ऊंचाई , शोहरत, इज्जत, पैसा सब कमाया लेकिन लक्ष्य हासिल करने के लिए रास्ते गलत चुन लिए और जब इसका भांडा फूटा तो उसे जेल जाना पड़ा. यह उस समय का सबसे बड़ा घोटाला माना गया. बात हो रही है हर्षद मेहता की. अस्सी के दशक में देश के हालात खराब थे. हमारे देश के सोने को विदेश में गिरवी रखने की नौबत आ गई थी. बाहर की कंपनियों के देश में आने पर बंदिशें थीं. ऐसे में शेयर मार्केट, बाम्बे स्टॉक एक्सचेंज के बारे में तो आम आदमी जानता ही नहीं था, न जानने की कोशिश करता था. इसे अमीरों का चोंचला माना जाता था. लेकिन इसमें एक ऐसा खिलाड़ी आया जिसने अपने कारनामों या करतूतों से शेयर मार्केट को मिडिल क्लास के दिमाग में बैठा दिया. नाम था हर्षद मेहता. तब इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के नाम पर दूरदर्शन था. रेडियो के साथ, इंडिया टुडे जैसी मैग्जीन और नेशनल लेवल के अखबार ही सूचना के बड़े स्रोत हुआ करते थे. सरकारी माध्यमों को छोड़ दिया जाए तो बाकी माध्यमों में हर्षद मेहता की कई वर्षों तक लगातार कहानियां छपीं क्योंकि लोग उसके बारे में जानना चाहते थे. पढ़ना चाहते थे. उसी हर्षद मेहता के जीवन पर बनी है फिल्म 'द बिग बुल'.
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