
देश में चीतों का दूसरा घर लगभग तैयार, फरवरी में देखने आएंगे अफ्रीकी एक्सपर्ट्स; Kuno से है 6 घंटे की दूरी
AajTak
Gandhi Sagar Wildlife Sanctuary: मध्य प्रदेश के मंदसौर और नीमच जिलों की उत्तरी सीमा पर स्थित गांधी सागर वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी कूनो से करीब छह घंटे की दूरी पर है. यह 368 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और इसके आसपास 2,500 वर्ग किलोमीटर का अतिरिक्त क्षेत्र है. वहीं, श्योपुर जिले में स्थित कूनो नेशनल पार्क का क्षेत्रफल 344.686 वर्ग किलोमीटर है.
Gandhi Sagar Wildlife Sanctuary: भारत में चीतों का दूसरा घर यानी गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य लगभग तैयार हो चुका है. फरवरी में दक्षिण अफ्रीकी विशेषज्ञ अभयारण्य में चीतों को बसाने की तैयारियों का जायजा लेने आएंगे. उनकी सहमति के बाद चीतों के अगले बैच को लाने पर विचार किया जाएगा.
पर्यावरण मंत्रालय में अतिरिक्त वन महानिदेशक एसपी यादव ने न्यूज एजेंसी को बताया कि चीतों के अगले बैच को दक्षिण अफ्रीका से लाकर गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में बसाया जाएगा. 'अफ्रीकी मेहमानों' के लिए वन्यजीव अभयारण्य तैयार करने का 90 फीसदी काम पूरा हो चुका है.
मध्य प्रदेश के मंदसौर और नीमच जिलों की उत्तरी सीमा पर स्थित गांधी सागर वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी कूनो से करीब छह घंटे की दूरी पर है. यह 368 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और इसके आसपास 2,500 वर्ग किलोमीटर का अतिरिक्त क्षेत्र है. वहीं, श्योपुर जिले में स्थित कूनो नेशनल पार्क का क्षेत्रफल 344.686 वर्ग किलोमीटर है.
उधर, कूनो नेशनल पार्क में मौसम की स्थिति में सुधार होने तक मादा चीतों और उनके शावकों को जंगल में नहीं छोड़ा जाएगा. पता हो कि नामीबिया से लाई गई मादा चीता ज्वाला ने 20 जनवरी को ही 4 शावकों को जन्म दिया है. जनवरी की शुरुआत में एक अन्य नामीबियाई चीता आशा ने 3 शावक जन्मे थे.
अन्य मादा चीतों की तुलना में ज्वाला एक जंगली जानवर है. वह इंसानों से बचती है और आराम करते समय भी सतर्क रहती है, जो हर समय बड़े और मजबूत शिकारियों से सावधान रहने का एक विशिष्ट चीता व्यवहार है.
10 महीने के अंतराल के बाद दूसरी बार मादा चीता ज्वाला ने शावकों को जन्म दिया है. ज्वाला (नामीबियाई नाम सियाया) ने पिछले मार्च में ही चार शावकों को जन्म दिया था. तीन शावकों ने अत्यधिक गर्मी के कारण दम तोड़ दिया था, जबकि एकमात्र जीवित बचे बच्चे को कूनो में डॉक्टर्स की देखभाल में पाला जा रहा है.

आज रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ शिखर वार्ता के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत–रूस मित्रता एक ध्रुव तारे की तरह बनी रही है. यानी दोनों देशों का संबंध एक ऐसा अटल सत्य है, जिसकी स्थिति नहीं बदलती. सवाल ये है कि क्या पुतिन का ये भारत दौरा भारत-रूस संबंधों में मील का पत्थर साबित होने जा रहा है? क्या कच्चे तेल जैसे मसलों पर किसी दबाव में नहीं आने का दो टूक संकेत आज मिल गया? देखें हल्ला बोल.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिर में जमा पैसा देवता की संपत्ति है और इसे आर्थिक संकट से जूझ रहे सहकारी बैंकों को बचाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें थिरुनेल्ली मंदिर देवस्वोम की फिक्स्ड डिपॉजिट राशि वापस करने के निर्देश दिए गए थे. कोर्ट ने बैंकों की याचिकाएं खारिज कर दीं.

देश की किफायत विमानन कंपनी इंडिगो का ऑपरेशनल संकट जारी है. इंडिगो को पायलट्स के लिए आए नए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) नियमों को लागू करने में भारी दिक्कत आ रही है. इस बीच आज इंडिगो की 1000 से ज्यादा फ्लाइट्स कैंसिल हो गई है, जिस पर कंपनी के सीईओ का पहला बयान सामने आया है. इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स ने इंडिगो ऑपरेशनल संकट पर पहली बार बयान देते हुए कहा कि पिछले कुछ दिनों से विमानन कंपनी के कामकाज में दिक्कतें आ रही हैं. कंपनी का कामकाज पांच दिसंबर को सबसे अधिक प्रभावित हुआ है. आज 100 से ज्यादा फ्लाइट्स कैंसिल हुई हैं.

संसद के शीतकालीन सत्र में 8 और 9 दिसंबर 2025 को राष्ट्रगीत वंदे मातरम् पर दोनों सदनों में विशेष चर्चा होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री इस चर्चा को संबोधित करेंगे. चर्चा का उद्देश्य वंदे मातरम् के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान, ऐतिहासिक महत्व और वर्तमान प्रासंगिकता को उजागर करना है.

भारत-रूस बिजनेस फोरम में पीएम मोदी ने कहा कि भारत और रूस के बीच संबंध मजबूत हो रहे हैं और दोनों देशों ने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण लक्ष्यों को निर्धारित किया है. राष्ट्रपति पुतिन के साथ चर्चा में यह स्पष्ट हुआ कि व्यापार लक्ष्य समय से पहले पूरा किया जाएगा. कई क्षेत्रों जैसे लॉजिस्टिक्स, कनेक्टिविटी, मरीन प्रोडक्ट्स, ऑटोमोबाइल, फार्मा, और टेक्सटाइल में सहयोग को आगे बढ़ाया जा रहा है.

जम्मू-कश्मीर के 711 अग्निवीर आज भारतीय सेना का हिस्सा बन गए हैं. श्रीनगर स्थित जम्मू कश्मीर लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंट सेंटर में इन्हें कठोर प्रशिक्षण दिया गया, जिसके बाद ये अग्निवीर देश की सुरक्षा के लिए सीमाओं पर तैनात होंगे. इससे न केवल भारतीय सेना की क्षमता में वृद्धि हुई है, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा भी मजबूत हुई है.







