
दिल्ली चुनाव त्रिकोणीय बनाने से केजरीवाल को क्या फायदा मिलेगा? | Opinion
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दिल्ली में आम आदमी पार्टी पिछला दो चुनाव एकतरफा जीतती आ रही है. लेकिन, क्या ये सिलसिला जारी रहेगा? फिलहाल बड़ा सवाल यही है. क्योंकि, INDIA ब्लॉक में होने के बावजूद कांग्रेस भी अरविंद केजरीवाल के खिलाफ भ्रष्टाचार के इल्जाम पर बीजेपी की तरह ही हमलावर है.
अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कभी हाथ नहीं मिलाया था. बल्कि, अरविंद केजरीवाल ने तो अपनी राजनीति की नींव ही कांग्रेस की जड़ें खोद कर की थी. 2013 के पहले चुनाव में ही 15 साल से सत्ता पर काबिज कांग्रेस को 8 सीटों पर समेट दिया था, और उसके ठीक बाद अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के सपोर्ट से ही दिल्ली में अपनी पहली सरकार भी बना ली.
2019 के आम चुनाव में भी अरविंद केजरीवाल कांग्रेस के साथ चुनावी गठबंधन करना चाहते थे, लेकिन तब शीला दीक्षित के अड़ जाने के कारण राहुल गांधी ने स्थानीय नेताओं का नाम लेकर पल्ला झाड़ लिया था. अरविंद केजरीवाल ने पहले चुनाव में ही दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को हरा दिया था.
दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल पुराने ढर्रे पर ही लौट आये हैं, और कांग्रेस ने भी हर कदम पर आम आदमी पार्टी नेतृत्व और भ्रष्टाचार के आरोपी नेताओं के खिलाफ हमले तेज कर दिये हैं.
2013 में सबसे ज्यादा विधानसभा सीटें बीजेपी के हिस्से में आई थी, लेकिन उसने विपक्ष में बैठने का फैसला किया. 2015 में पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी को लाकर बीजेपी ने अरविंद केजरीवाल को चैलेंज किया था, लेकिन कुल जमा तीन सीटों पर सिमट कर रह गई. 2020 के चुनाव में बीजेपी ने ज्यादा जोर लगाया लेकिन विधायकों का नंबर दहाई का आंकड़ा नहीं पार कर सका, 8 सीटें ही आईं.
कांग्रेस तो 2015 से ही जीरो बैलेंस खाता ढो रही है, लेकिन इस बार पहले के मुकाबले ज्यादा गंभीर नजर आ रही है. स्थानीय कांग्रेस के नेता तो दिल्ली यात्रा कर रहे हैं, लेकिन अभी तक राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के उसमें शामिल होने की औपचारिक जानकारी सामने नहीं आई है. संभावनाएं तो वैसे भी जता दी जाती हैं.
दिल्ली शराब नीति केस में अरविंद केजरीवाल और उनके साथियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगने और जेल जाने के बावजूद अब तक तो आम आदमी पार्टी का पलड़ा ही भारी माना जा रहा है, लेकिन ये सवाल तो है ही कि कांग्रेस खेल बिगाड़ने पर उतर आये, और जगह जगह मुकाबला त्रिकोणीय हो जाय तो अरविंद केजरीवाल को फायदा होगा या नुकसान?

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