
दिल्ली का चुनावी गणित: दलित चेहरे के जरिए खाता खोलने की उम्मीद में कांग्रेस, मुश्किल में AAP
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दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. इलेक्शन कमीशन ने इलेक्टोरल रोल को रिवाइज करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है. दिल्ली में विधानसभा की 70 सीटो में से करीब 12 सीटें आरक्षित हैं. चुनाव आयोग के डेटा के मुताबिक 2013 दिल्ली विधानसभा चुनाव में AAP ने 8 सीटों पर, वहीं 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में कुल 12 सीटों पर जीत दर्ज की थी.
साल 1998 से 2013 तक दिल्ली की सत्ता पर कांग्रेस का कब्जा रहा तो साल 2013 में आम आदमी पार्टी की दिल्ली में एंट्री होते ही कांग्रेस दिल्ली में लगभग हाशिए पर चली गई. साल 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में तो कांग्रेस पार्टी को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली. हालिया लोकसभा चुनाव 2024 में AAP और कांग्रेस ने गठबंधन में चुनाव लड़ा लेकिन दिल्ली की 7 लोकसभा सीटों पर बीजोपी का क्लीन स्वीप रहा.
अब दिल्ली विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस ने AAP को झटका दे दिया है. सत्ताधारी AAP के बड़े दलित चेहरे राजेंद्र पाल गौतम ने कांग्रेस का दामन थामकर आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका दिया. ये AAP के लिए दूसरा बड़ा झटका है क्योंकि 2025 चुनाव से पहले दिल्ली सरकार में समाज कल्याण मंत्री रहे राजकुमार आनंद ने भी पहले बीएसपी और फिर बीजेपी का दामन थाम लिया है. लगातार दो बार दिल्ली विधानसभा चुनाव जीतने वाले राजेंद्र पाल गौतम से AAP को क्या नुकसान होगा और कांग्रेस को इस चेहरे की एंट्री से सियासी समर में क्या फायदा होगा?
आरक्षित सीटों पर है AAP का कब्जा
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. इलेक्शन कमीशन ने इलेक्टोरल रोल को रिवाइज करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है. दिल्ली में विधानसभा की 70 सीटो में से करीब 12 सीटें आरक्षित हैं. चुनाव आयोग के डेटा के मुताबिक 2013 दिल्ली विधानसभा चुनाव में AAP ने 8 सीटों पर, वहीं 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में कुल 12 सीटों पर जीत दर्ज की थी. दिल्ली में आरक्षित यानी दलित मतदाताओं की अनुमानित आबादी करीब 20% है.
वोट ट्रांसफर करवा सकते हैं राजेंद्र पाल गौतम
सामाजिक न्याय और जाति जनगणना के मुद्दे उठाकर कांग्रेस आम चुनाव 2024 में 99 सीटों तक पहुंच गई, जो 2019 के लोकसभा चुनाव में सिर्फ 53 सीटों तक सिमट कर रह गई थी. साफ है कि कांग्रेस पार्टी को फायदा हुआ है और सीटों की संख्या लगभग दोगुनी हो चुकी है. खास बात ये है कि राजेंद्र पाल गौतम ने भी कांग्रेस में शामिल होते वक्त सामाजिक न्याय और जाति जनगणना के समर्थन की बातें कहीं. ऐसे में कांग्रेस पार्टी को दिल्ली में दलित मतदाताओं के बीच एक बड़ा चेहरा मिल गया है जो वोट ट्रांसफर भी करा सकता है.

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