दबंगों की दुनियाः पिता की मौत का बदला, 6 लोगों का कत्ल... फिर उसरी चट्टी कांड से कुख्यात हुआ था ये डॉन
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जब यूपी के कुख्यात अपराधियों की बात होती है, तो ऐसा एक नाम सामने आता है, जिसका आतंक सूबे की सरहदों से निकलकर कई राज्यों में फैल गया था. हम बात कर रहे हैं माफिया डॉन बृजेश सिंह (Brajesh Singh) की. बृजेश सिंह ने जरायम की दुनिया से सियासत में कदम रखा था और MLC बन बैठा था.
UP Mafia: जब-जब जुर्म की दुनिया में उत्तर प्रदेश के कुख्यात अपराधियों की बात होती है, तब-तब कई बाहुबली माफियाओं और नेताओं का नाम सामने आता है. ऐसा ही एक नाम है माफिया डॉन बृजेश सिंह (Brajesh Singh) का. बृजेश सिंह ने यूपी में जब एमएलसी का चुनाव लड़ा था, तो रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की थी. लेकिन साल 2017 के विधान सभा चुनाव में उसे हार का मुंह देखना पड़ा था. बृजेश सिंह एक ऐसा माफिया सरगना रहा है, जिसका आतंक यूपी ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों तक फैला था. आइए जान लेते हैं कि माफिया डॉन बृजेश सिंह की कहानी.
कौन है बृजेश सिंह? बृजेश सिंह उर्फ अरुण कुमार सिंह का जन्म वाराणसी में हुआ था. उसके पिता रविन्द्र सिंह इलाके के रसूखदार लोगों में गिने जाते थे. सियासी तौर पर भी उनका रुतबा कम नहीं था. बृजेश सिंह बचपन से ही पढ़ाई लिखाई में काफी होनहार था. 1984 में इंटर की परीक्षा में उसने बहुत अच्छे अंक हासिल किए थे. उसके बाद बृजेश ने यूपी कॉलेज से बीएससी की पढाई की. वहां भी उनका नाम होनहार छात्रों की श्रेणी में आता था.
ऐसे बना माफिया डॉन बृजेश का अपने पिता रविंद्र सिंह से काफी लगाव था. पिता चाहते थे कि बृजेश पढ़ लिखकर अच्छा इंसान बने. लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. 27 अगस्त 1984 को वाराणसी के धरहरा गांव में बृजेश के पिता रविन्द्र सिंह की हत्या कर दी गई. उनके सियासी विरोधी हरिहर सिंह और पांचू सिंह ने साथियों के साथ मिलकर उनकी हत्या को अंजाम दिया था. पिता की मौत ने बृजेश सिंह के मन में बदले की भावना को जन्म दे दिया. वो अपने पिता की हत्या का बदला लेने लिए बेताब था. 27 मई 1985 को रविंद्र सिंह का हत्यारा हरिहर सिंह बृजेश के सामने आ गया. उसे देखते ही बृजेश ने उसे मौत के घाट उतार दिया. यहीं से उसका क्राइम ग्राफ बढ़ने लगा.
चर्चित कांड बृजेश ने हरिहर को मौत के घाट तो उतार दिया था लेकिन उसका गुस्सा शांत नहीं हुआ था. उसे उन लोगों की तलाश थी जो उसके पिता की हत्या में हरिहर के साथ शामिल थे. वो 9 अप्रैल 1986 का दिन था. अचानक बनारस का सिकरौरा गांव गोलियों की आवाज़ से गूंज उठा. हर तरफ दहशत फैल गई. बाद में पता चला कि बृजेश सिंह ने वहां अपने पिता की हत्या में शामिल रहे पांच लोगों को एक साथ गोलियों से भून डाला था. इस वारदात को अंजाम देने के बाद पहली बार बृजेश गिरफ्तार हुआ. यहीं वो सामूहिक हत्याकांड था. जिसने बृजेश का खौफ लोगों के दिलों में पैदा कर दिया था. इसी कांड के बाद उसकी छवि माफिया डॉन की बन गई थी. लोग उसके नाम से भी खौफ खाने लगे थे.
ठेकेदारी और रंगदारी वसूली बृजेश सिंह को जब अपनी ताकत अहसास हुआ तो उसने ठेकेदारी और रंगदारी जैसे काम शुरु कर दिए. इसी दौरान उसकी दुश्मनी बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी से हो गई. जो बृजेश को काफी महंगी भी पड़ी. उसे मुख्तार की ताकत का अंदाजा नहीं था. इस गैंगवार में उसके भाई का मर्डर भी हुआ था. बृजेश ने पश्चिम बंगाल, मुंबई, बिहार, और उड़ीसा में भी अपना नेटवर्क बना लिया था. वो अंडरग्राउंड रहते हुए भी एक्टिव था.
साथी के भाई की मौत का बदला उसी दौर में मकनू सिंह और साधू सिंह का गैंग तेजी से उभर रहा था. अक्टूबर 1988 में साधू सिंह ने कांस्टेबल राजेंद्र को मौत की नींद सुला दिया, जो बृजेश सिंह के साथी त्रिभुवन सिंह का भाई था. हेड कांस्टेबल राजेंद्र सिंह की हत्या के मामले में कैंट थाने पर साधू सिंह के अलावा मुख़्तार अंसारी और गाजीपुर निवासी भीम सिंह को भी नामजद किया गया था.
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