...तो ऐसे निकाह में शामिल नहीं होंगे उलेमा और काजी, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का फैसला
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ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने दहेज प्रथा को रोकने के लिए अहम फैसला लिया है. अब जहां बेटियों की शादी में दहेज के लिए जबरन लेनदेन होता है, वहां उलेमा और काजी नहीं जाएंगे.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने शादी को आसान बनाने के साथ ही रीति-रिवाजों और प्रथाओं पर अंकुश लगाने का फैसला किया है. विशेष रूप से दहेज लेन-देन और बेटियों पर हो रहे ज़ुल्म को रोकने के लिए पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा अभियान शुरू किया गया है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने शादी को आसान बनाने और रीति-रिवाजों और प्रथाओं पर अंकुश लगाने के लिए और विशेष रूप से दहेज लेन-देन और बेटियों पर हो रहे ज़ुल्म को रोकने के लिए अभियान शुरू किया है। (1/3) बोर्ड के सचिव @MaulanaUmrain साहब इस अभियान की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। उन्होंने महाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना, मध्य प्रदेश और कर्नाटक के उलमा और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करके अभियान शुरू किया है। अन्य राज्यों में काम कुछ ही दिनों में शुरू हो जाएगा इन्शा अल्लाह । (2/3) इस अभियान में, यह भी तय किया गया है कि जिस शादी में दहेज के लिए जबरन लेन-देन होता है, उसमें उलमा और क़ाज़ी शामिल ना हों, यह कदम बेटियों की सुरक्षा के लिए आवश्यक है। (3/3) इसलिए शुरू हुआ अभियाननवाज शरीफ ने 25 साल बाद एक गलती स्वीकार की है. ये गलती पाकिस्तान की दगाबाजी की है. 20 फरवरी 1999 को दिल्ली से जब सुनहरी रंग की 'सदा-ए-सरहद' (सरहद की पुकार) लग्जरी बस अटारी बॉर्डर की ओर चली तो लगा कि 1947 में अलग हुए दो मुल्क अपना अतीत भूलाकर आगे चलने को तैयार हैं. लेकिन ये भावना एकतरफा थी. पाकिस्तान आर्मी के मन में तो कुछ और चल रहा था.
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