
तीन दिन-तीन सवाल... उदयपुर के चिंतन शिविर में कांग्रेस तलाशेगी इन चुनौतियों का हल
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कांग्रेस नौ साल के बाद एक बार फिर से चिंतन शिविर करने जा रही है. उदयपुर में तीन दिनों तक चलने वाले चिंतन शिविर में कांग्रेस भविष्य की रणनीति को लेकर मंथन करेगी. इस साल गुजरात और हिमाचल में विधानसभा चुनाव हैं तो 2023 में राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव होने है जबकि 2024 में लोकसभा चुनाव है.
कांग्रेस अपने सियासी इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. कांग्रेस आठ सालों से देश की सत्ता से कांग्रेस बाहर है और एक के बाद एक राज्यों की सत्ता से दूर होती जा रही है. ऐसे मुश्किल दौर में कांग्रेस ने तीन दिवसीय चिंतन शिविर उदयपुर में बुलाया है, जहां पर पार्टी नेतृत्व का संकट, आपसी गुटबाजी पर चिंतन करेगी और आगामी चुनाव में जीत की राह तलाशेगी.
कांग्रेस आलाकमान ने पार्टी की हालत पर चिंतन और मनन करने के लिए 13 से 15 मई तक राजस्थान के उदयपुर में तीन दिन का नव संकल्प चिंतन शिविर करने का फैसला किया है, जिसमें 2024 के आम चुनावों सहित आगामी असेंबली चुनावों को लेकर पार्टी की रणनीति पर भी मंथन होगा. साथ ही इस बैठक में कांग्रेस उन सवालों का हल तलाशेगी, जिसे लेकर पार्टी में लगातार सवाल उठ रहे हैं.
कांग्रेस को मजबूत नेतृत्व की जरूरत
कांग्रेस में सबसे बड़ी दिक्कत पार्टी के नेतृत्व को लेकर है. 2019 लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के पास कोई पूर्णकालिक अध्यक्ष नहीं है. ऐसे में कांग्रेस में एक ऐसे नेता की तलाश है, जो कांग्रेस को एक स्पष्ट और मजबूत नेतृत्व दे सके. इतना ही नहीं वो अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं में जान फूंक सके. आम लोगों के साथ-साथ सहयोगी क्षेत्रीय और सहयोगी दलों को भी भरोसा दिला सके कि कांग्रेस ही है, जो देश में बीजेपी से हर स्तर पर मुकाबला कर सकती है और मजबूत विकल्प भी बन सकती है.
कांग्रेस नेतृत्व को लेकर उहापोह के कारण अगस्त 2020 में कांग्रेस के कई असन्तुष्ट नेताओं (जी-23) ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर पार्टी में बड़े बदलावों की मांग की थी. माना गया कि इस चिट्ठी का निशाना मूलरूप से राहुल गांधी थे. ऐसे में नेतृत्व को लेकर उठते सवालों का कांग्रेस को चिंतन शिविर में एक भरोसेमंद चेहरा तलाशना होगा, जो पीएम नरेंद्र मोदी से मुकाबला कर सके. कांग्रेस मजबूत नेतृत्व के अभाव में बीजेपी के खिलाफ मुद्दे तो उठाती है, लेकिन वो लोगों के मन में अपनी बातों को बैठा नहीं पाती है.
असंतुष्ट नेताओं को कैसे साधेगी कांग्रेस

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