डॉक्टर बनने की चाहत, किडनैपिंग का फुलप्रूफ प्लान, मां-बाप से धोखा... 20 साल की काव्या की करतूत सुन सन्न रह जाएंगे
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मध्य प्रदेश के शिवपुरी की रहने वाली काव्या धाकड़ नीट परीक्षा की तैयारी के लिए राजस्थान के कोटा जाती है. लेकिन एक दिन उसके पिता के मोबाइल पर उसकी हैरतअंगेज तस्वीर आती, जिसे देख वो दंग रह जाते हैं. इसके बाद पता चलता है कि उसकी किडनैपिंग हो चुकी है.
हाथ पैर दोनों रस्सियों से जकड़े हुए. मुंह कपड़े से बंधा हुआ. अब भला ऐसी तस्वीर देख कर किस मां-बाप का कलेजा न कांप जाए. लेकिन अब जैसे ही रस्सियों की गांठ खुली और मुंह से कपड़ा हटा, अचानक पूरी फिल्म की तस्वीर और तस्वीर की कहानी सबकुछ बदल गई. उसे पता था वो डॉक्टर नहीं बन पाएगी, किडनैपर बनने का कभी सोचा नहीं, लेकिन खुद को किडनैप करने का तरीका उसे पता था. जी हां, आखिरकार 15 दिन बाद खुद को कोटा से अगवा कराने वाली 20 साल की काव्या इंदौर में मिल ही गई. वो और उसका दोस्त हर्षित इंदौर के एक मकान में छुप कर रह रहे थे. लेकिन इंदौर पुलिस ने टेक्नीकल सर्विलांस के जरिए आखिरकार उन्हें ढूंढ निकाला और ठीक 15 दिन बाद इस स्टोरी की हैप्पी एंडिंग हो गई.
अपनी किडनैपिंग की स्टोरी प्लांट करने वाली काव्या तक पहुंचने में पुलिस को तब कामयाबी मिली, जब उसके दोस्त हर्षित ने उसके घरवालों को एक मैसेज भेजा. इसमें लिखा था कि उनकी बेटी काव्या अब खुदकुशी करने की धमकी दे रही है. चूंकि घरवाले पहले ही अपनी बेटी की गुमशुदगी से परेशान थे, उनकी सांसें हलक में अटकी हुई थी, उसकी खुदकुशी की धमकी वाले मैसेज ने उन्हें और परेशान कर दिया. उन्होंने फौरन इसकी खबर फौरन इंदौर पुलिस को दी. जिस नंबर से खुदकुशी की धमकी वाला मैसेज आया था, उस नंबर को सर्विलांस पर लगाया गया और आखिरकार लुकाछिपी के इस खेल का खात्मा हो गया. पुलिस को पता चला कि वो फोन इंदौर के ही खुडैल थाना इलाके के शिवाजी वाटिका नाम के एक गांव में एक्टिव है.
बस फिर क्या था? पुलिस बगैर देर किए हुए फौरन उस जगह तक पहुंची, जहां मोबाइल का लोकेशन शो हो रहा था, जहां एक किराये के मकान से दोनों को बरामद कर लिया गया. काव्या और उसके दोस्त हर्षित ने ये मकान दो-तीन दिन पहले ही किराये पर लिया था. हैरानी की बात ये रही कि टीवी से लेकर अखबारों तक यहां तक सोशल मीडिया के हरेक प्लेटफॉर्म में दोनों के घरवालों को धोखा देकर फरार होने की खबरों के छाए रहने के बावजूद दोनों 15 दिनों तक ना सिर्फ आराम से एक जगह से दूसरी जगह घूमते रहे, बल्कि अलग-अलग शहरों से घूम फिर वापस इंदौर आकर उन्होंने एक मकान किराये पर भी ले लिया और किसी को इसका पता ही नहीं चला. यहां तक उस शख्स को भी नहीं, जिन्होंने इन दोनों को अपना मकान किराये पर दिया था.
वो तो यदि पैसे ख़त्म हो जाने पर काव्या के घरवालों पर दबाव बनाने के लिए उसके दोस्त हर्षित ने उन्हें खुदकुशी की धमकी वाला मैसेज ना भेजा होता, तो शायद कहानी अभी और लंबी खिंच जाती. लेकिन ब्लैकमेलिंग की उसी पुरानी कोशिश ने आखिरकार दोनों को पुलिस के हत्थे चढ़ा दिया, जिससे दोनों ने घरवालों से लेकर पुलिस वालों तक की सांसें रुकवा दी थी. शिवाजी वाटिका में किराये पर कमरा लेने के बाद दोनों जब भी बाहर निकलते थे, ज्यादातर वक़्त अपना चेहरा ढंक कर रखते थे. दोनों ने यहां शिफ्ट होने के बाद गद्दा भी खरीदा था. मोहल्ले की दुकान से तकरीबन हर रोज़ जरूरत की चीज़ें खरीदते थे, लेकिन किडनैपिंग की झूठी स्टोरी को लेकर होने वाली चर्चाओं के बावजूद उनके घर के पास का दुकानदार भी उन्हें नहीं पहचान सका था.
पुलिस सूत्रों की मानें तो काव्या को पहले ही इस बात का अहसास हो चुका था कि वो नीट की परीक्षा पास नहीं कर पाएगी. कुछ इसी इरादे से उसने पिछले साल अगस्त महीने से अपने घरवालों को धोखा देने का ताना-बाना बुनना शुरू कर दिया. काव्या 3, 4 और 5 अगस्त को अपने घर शिवपुरी से कोटा पहुंची थी... यहां वो एक हॉस्टल में तीन दिन तक रुकी और फिर चुपके से अपने दोस्त हर्षित के पास इंदौर चली गई और वहीं उसके साथ रहने लगी. लेकिन उसने अपने घरवालों को बताया कि वो कोटा में ही है. घरवालों को गुमराह करने के लिए उसने ऐसी साजिश रची अब उसे जान कर पुलिस भी सन्न है. काव्या ने कोटा में तीन दिन रहने के दौरान की वहां की अलग-अलग जगहों की ढेर सारी तस्वीरें खींच ली थीं. इनमें कुछ लोकेशंस पर उसकी कुछ अपनी तस्वीरें भी थीं.
मां-बाप को गुमराह करती रही किडनैपिंग की कहानी गढ़ने वाली काव्या
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