
'ठाकुर गब्बर को जान से मारता, सेंसर बोर्ड ने बदलवाया शोले का क्लाइमैक्स' बोले रमेश सिप्पी
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बॉलीवुड की एपिक फिल्म 'शोले' बनाने वाले डायरेक्टर रमेश सिप्पी ने खुलासा किया है कि उनकी फिल्म का क्लाइमैक्स 1975 में आई इमरजेंसी के कारण बदला गया था. सेंसर बोर्ड ने उनसे ठाकुर के सीन्स बदलने की बात कही थी.
हिंदी सिनेमा की एपिक एक्शन-रिवेंज फिल्म 'शोले' को रिलीज हुए 50 साल का समय बीत चुका है. हाल ही में फिल्म के डायरेक्टर रमेश सिप्पी ने खुलासा किया है कि 'शोले' का क्लाइमैक्स बदला गया था. सेंसर बोर्ड ने ठाकुर और गब्बर सिंह की लड़ाई वाला सीन पूरी तरह से बदलवाया गया था.
क्यों बदला गया 'शोले' का क्लाइमैक्स?
'शोले' बॉलीवुड की उन फिल्मों में से है जिसकी दीवानगी आज भी लोगों के बीच काफी ज्यादा है. इसकी कहानी पुरानी है, मगर आज भी ऑडियंस को उनकी सीट से बांधे रखने का काम करती है. यूं तो फिल्म का एक-एक हिस्सा लोगों की याद बन चुका है. लेकिन इसका क्लाइमैक्स आज भी उनके दिलों को तोड़कर रख देता है. हालांकि उसमें भी कुछ बदलाव किए गए थे.
रमेश सिप्पी का कहना है कि 'शोले' का क्लाइमैक्स ओरिजिनल स्क्रिप्ट के मुताबिक नहीं रखा गया. सेंसर बोर्ड ने 1975 में आई इमरजेंसी के कारण क्लाइमैक्स में बदलाव किए. जूम संग बातचीत में फिल्ममेकर ने बताया, 'मेरी फिल्म का क्लाइमैक्स पहले ऐसा था कि ठाकुर गब्बर सिंह को मार देता है. लेकिन सेंसर बोर्ड ने हमें कहा कि वो एक पुलिस ऑफिसर है, वो अपने हाथ में कानून कैसे ले सकता है? मैंने कहा कि ये सीन जिसमें पुलिस ऑफिसर आता है और उसे मारने से रोक देता है, ये मैं फिल्मों में हजार बार देख चुका हूं.'
'आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि मैं इसे बदलूंगा? लेकिन उन्होंने हमसे रिक्वेस्ट की और उस वक्त इमरजेंसी भी थी. उनके हाथ में सारी ताकत थी, हम कुछ कर नहीं सकते थे. इसलिए मुझे उनकी बात माननी पड़ी.'
क्लाइमैक्स में बदलाव के कारण रमेश सिप्पी थे नाराज?

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