
जैकलीन ने जेल से लेटर लिखने पर रोक लगाने की लगाई थी गुहार, अब सुकेश चंद्रशेखर ने कोर्ट से की ये अपील
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सुकेश चंद्रशेखर ने अपने प्रार्थना पत्र में लिखा है कि सबसे पहले, उक्त आवेदक (जैकलीन फर्नांडीज) ने खुद को ईओडब्ल्यू मामले में मुख्य अभियोजन गवाह के रूप में उल्लेखित किया है, लेकिन यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि वह संबंधित पीएमएलए (PMLA) मामले में एक आरोपी है.
जेल में बंद महाठग सुकेश चंद्रशेखर ने पटियाला हाउस कोर्ट में एक अर्जी दाखिल करके जैकलीन फर्नांडीज के उस आवेदन पर सुनवाई की मांग की है, जिसमें उसके पत्र लिखने पर रोक लगाने की गुजारिश की गई है. इस संबंध में 22 दिसंबर को सुकेश ने जेल से ही अदालत को एक पत्र लिखा है.
सुकेश ने अदालत में दिए गए प्रार्थना पत्र में लिखा है कि ईसीआईआर-54/21 मामले में उसकी सह-आरोपी जैकलीन फर्नांडीज ने उसके खिलाफ जो आवेदन किया है. ये प्रार्थना पत्र उसी मामले के संबंध में दायर किया जा रहा है, जो अदालत में अब 17 जनवरी 2024 को सूचीबद्ध है.
सुकेश ने अपने प्रार्थना पत्र में लिखा है कि सबसे पहले, उक्त आवेदक (जैकलीन फर्नांडीज) ने खुद को ईओडब्ल्यू मामले में मुख्य अभियोजन गवाह के रूप में उल्लेखित किया है, लेकिन यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि वह संबंधित पीएमएलए (PMLA) मामले में एक आरोपी है.
आवेदक को पहले प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी आरोपी बनाया था और उसके बाद ईओडब्ल्यू (EOW) ने आश्चर्यजनक और चुनिंदा तरीके से उसे अपने मामले में गवाह बनाया है, जबकि अन्य सह-आरोपी समान स्तर के हैं. यह एक बायज्ड जांच है, जो परीक्षण के दौरान साफ हो जाएगी. प्रार्थना पत्र के अनुसार, ईडी में पुलिस हिरासत के दौरान, आवेदक (जैकलीन फर्नांडीज) ने रिश्ते का हवाला देकर कई बार सुकेश से अपने हित और समाज में सम्मान की खातिर बयान देने के लिए अनुरोध किया था. आवेदक की ओर से ईडी और ईओडब्ल्यू के सामने अपने बयानों में ये सब कबूल किया गया है, और रिकॉर्ड पर है.
आगे सुकेश ने प्रार्थना पत्र में लिखा है कि जेल नियम 585 के अनुसार वह दोस्तों, परिवार, रिश्तेदारों और कानूनी सलाहकारों को पत्र लिखने का हकदार है, वो अभिव्यक्ति के अधिकार और बोलने की स्वतंत्रता के दायरे में भी आता है, भले ही वो कानून और संविधान के अनुसार कैद में है.
वो यह भी साफ करता है कि जैसा कि आवेदक (जैकलीन फर्नांडीज) ने आरोप लगाया है कि उसने जैकलीन की गरिमा को ठेस पहुंचाई है या उसे धमकाने या धमकाने की कोशिश की है, यह पूरी तरह से गलत है. यह आरोप आवेदक ने दुर्भावनापूर्ण इरादे से लगाया है.

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