जीत-हार, बड़े उलटफेर, दलबदल, श्रद्धांजलि... सियासत के कई रंग दिखा गया 2022
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साल 2022 की राजनीतिक गतिविधियों पर नजर डालें तो पाएंगे कि सामाजिक और राजनीतिक संगठनों के लिए काफी उथल-पुथल से भरा रहा. इस दौरान कई राज्यों में चुनाव और उपचुनाव में जीत हार दिखी तो सियासत में दलबदल भी खूब देखने को मिला. राहुल गांधी 'भारत जोड़ो यात्रा' पर निकले तो कांग्रेस की कमान मल्लिकार्जुन खड़गे को मिली. द्रौपदी मुर्मू पहली आदिवासी राष्ट्रपति बनी.
साल 2022 चंद दिनों के बाद विदा हो जाएगा और नए उम्मीदों के साथ 2023 दस्तक देने जा रहा है. पिछले एक साल पर नजर डालें तो भारतीय राजनीति में चुनावी जीत-हार ही नहीं बल्कि कई राज्यों में बड़े सियासी उलटफेर देखने को मिले हैं. यूपी से लेकर गुजरात तक विधानसभा चुनाव की जंग हुई तो महाराष्ट्र और बिहार में दलबदल ऐसा हुआ कि सत्ता ही बदल गई. राहुल गांधी 'भारत जोड़ो यात्रा' पर निकलाकर नई राजनीतिक लकीर खींचते नजर आए.
देश को द्रौपदी मुर्मू के रूप में आदिवासी राष्ट्रपति मिली हैं तो जगदीप धनखड़ उपराष्ट्रपति चुने गए हैं. आम आदमी पार्टी का सियासी ग्राफ बढ़ा है और राष्ट्रीय पार्टी बनने में कामयाब रही है. 2022 में देश को मुलायम सिंह यादव, सैयद सिब्ते रजी, हेमानंद बिस्वाल जैसे जिग्गज नेता को भी खोना पड़ा है. राजनीतिक घटनाओं के लिहाज से साल 2022 काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है.
जीत-हार के नाम रहा 2022 2022 में सात राज्यों में विधानसभा चुनाव, राज्यसभा, निकाय और पंचायत चुनाव हुए. 2022 की शुरुआत में ही पांच राज्यों और साल के आखिर में दो राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए हैं. शुरू में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर के चुनाव परिणाम देश की राजनीति के लिए एक नई दिशा बने. उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में बीजेपी सत्ता बचाए रखने में सफल रही. यूपी से बसपा और कांग्रेस का पूरी तरह सफाया हो गया जबकि सपा भले ही सत्ता में नहीं आ सकी हैं, लेकिन मुख्य विपक्षी दल बनने में सफल रही. इतना ही नहीं मैनपुरी उपचुनाव के नतीजों से अखिलेश यादव और शिवपाल को एकजुट होने का मौका भी मिला.
पंजाब विधानसभा चुनाव के परिणाम अप्रत्याशित थे. पंजाब में आम आदमी पार्टी ने विपक्ष का सफाया कर दिया और कांग्रेस को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था. राज्य में आम आदमी पार्टी ने 117 में से 92 सीटों पर जीत हासिल कर दिल्ली के बाद पंजाब की सत्ता पर काबिज हुई. वहीं, साल के अंत में हिमाचल प्रदेश और गुजरात में चुनाव हुए. गुजरात में बीजेपी रिकॉर्ड सीटों के साथ अपना सियासी वर्चस्व बचाए रखा तो हिमाचल में रिवाज बरकरार रही. कांग्रेस हिमाचल की सत्ता में वापसी करने में कामयाब रही तो भाजपा को बाहर का रास्ता देखना पड़ा. दिल्ली के नगर निगम में बीजेपी के पंद्रह साल के एकाधिकार को आम आदमी पार्टी ने तोड़ा. इससे अरविंद केजरीवाल का सियासी कद बढ़ा है और आम आदमी पार्टी राष्ट्रीय पार्टी बन गई है.
सियासी उलटफेर और दलबदल महाराष्ट्र और बिहार में सियासी उलटफेर देखने को मिला तो कई जगह पर दलबदल भी हुआ. महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन भी देखने को मिला. महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की कुर्सी उनके ही करीबी रहे एकनाथ शिंदे ने बीजेपी से मिलकर छिन ली. राज्य में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में चल रही महाविकास अघाड़ी की सरकार बीच अधर में ही पटरी से उतर गई. शिंदे ने बीजेपी के सहयोग से राज्य में अपनी सरकार बना ली. वहीं, बिहार की राजनीति में सत्ता में बदलाव दिखा. साल 2022 बीजेपी-जेडीयू के रिश्तों में तल्खी आई और नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ नाता तोड़कर महागठबंधन में वापसी कर गए. नीतीश सीएम बने तो तेजस्वी यादव डिप्टीसीएम. इस सियासी बदलाव के बाद से नीतीश कुमार विपक्षी दलों को एकजुट करने की मुहिम में जुट गए हैं और 2024 के चुनाव में उन्हें पीएम मोदी के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है.
महाराष्ट्र-बिहार में जहां सियासी बदलाव हुआ तो कई जगहों पर दलबदल भी देखने को मिले. पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह से लेकर सुनील जाखड़ जैसे नेताओं ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामा तो यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के एक दर्जन से ज्यादा विधायक सपा में शामिल हो गए थे. अरुणाचल प्रदेश में जेडीयू के पांच विधायकों ने पाला बदलते हुए बीजेपी का दामन थाम लिया. गुजरात में भी कांग्रेस के विधायकों ने साथ छोड़ा, लेकिन सबसे बड़ा झटका जम्मू-कश्मीर के दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद ने दिया. आजाद ने कांग्रेस छोड़कर अपनी पार्टी बना ली.
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