जम्मू-कश्मीर में पहाड़ी समुदाय को मिलेगा एसटी का दर्जा, संसद में बिल पेश करेगी केंद्र सरकार
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुर्जर और बकरवालों का डर दूर करते हुए स्पष्ट कर दिया कि पहाड़ियों को एसटी का दर्जा मिलने से उनके कोटे को नहीं छुआ जाएगा. गुर्जर और बक्करवालों को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 10% आरक्षण मिलता रहेगा.
जम्मू-कश्मीर में पहाड़ी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलेगा. इसको लेकर जल्द ही संसद के मौजूदा सत्र में विधेयक पेश करेगी, जिसमें पहाड़ी समुदाय की मांगें जल्द पूरी हो जाएंगी. एक दिन पहले ही गुर्जर, बकरवाल और पहाड़ी समुदाय के डेलीगेशन ने गृह मंत्री अमित शाह से अलग-अलग मुलाकात की थी. इस मीटिंग में अमित शाह ने गुर्जर और बकरवालों का डर दूर कर दिया. दरअसल उन्हें डर था कि पहाड़ियों को एसटी सूची में शामिल होने से उनके कोटे पर असर पड़ेगा.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुर्जर और बकरवालों का डर दूर करते हुए स्पष्ट कर दिया कि पहाड़ियों को एसटी का दर्जा मिलने से उनके कोटे को नहीं छुआ जाएगा. गुर्जर और बक्करवालों को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 10% आरक्षण मिलता रहेगा. सूत्रों की मानें तो पहाड़ी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा और अलग कोटा मिलेगा. हालांकि उन्हें कितने परसेंट रिजर्वेशन मिलेगा, ये अभी तय नहीं किया गया है.
गुर्जर और बकरवाल ने किया था विरोध
गुर्जरों और बकरवालों ने पहले पहाड़ियों को एसटी सूची में शामिल करने का विरोध किया था. इन्हें डर था कि उनके अधिकार छीन लिए जाएंगे. मोदी सरकार पहाड़ी, किश्तवाड़ की पद्दारी जनजाति, गड्डा ब्राह्मण और कोली समुदाय को अनुसूचित जनजाति सूची में जोड़ने के लिए संसद के मौजूदा सत्र में विधेयक पेश करेगी. पहाड़ी समुदाय की मांगें जल्द ही पूरी की जाएंगी. अभी जम्मू-कश्मीर में गुर्जर, बकरवाल, गद्दी, सिप्पी, शीना को एसटी का दर्जा प्राप्त है.
90 में 9 सीटें एसटी आरक्षित
जम्मू-कश्मीर में अनुसूचित जनजातियों को पहली बार राजनीतिक आरक्षण मिलेगा. कुल 90 में से 9 विधानसभा सीटें उनके लिए आरक्षित रहेंगी. अब तक, एसटी को केवल सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का लाभ मिलता था. उनके लिए कोई राजनीतिक आरक्षण नहीं था. बीजेपी की नजर जम्मू-कश्मीर में एसटी सीटों पर है. पिछले साल सरकार ने गुर्जर नेता गुलाम अली खटाना को राज्यसभा में भेजा था. इसे बीजेपी द्वारा गुर्जर समुदाय तक पहुंचने की कोशिश के तौर पर देखा गया.
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