
जब राकेश रोशन को लगी थी गोली, ऋतिक को किया फोन- घर से मत निकलना...
AajTak
साल 2000 में फिल्ममेकर राकेश रोशन को दो लोगों ने उनके ऑफिस के बाहर गोली मार दी थी. हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान राकेश रोशन ने खुलासा किया कि उन्होंने गोली लगने के बाद अपने बेटे ऋतिक को कॉल करके उन्हें घर से बाहर नहीं निकलने की सलाह दी थी.
फिल्ममेकर राकेश रोशन का जीवन उनके लिए आसान नहीं रहा है. उनकी जिंदगी ऐसी लगती है कि मानो वो सिर्फ संघर्ष करने के लिए ही बने हैं. जब उनके पिता लेजेंडरी म्यूजिक डायरेक्टर रोशन नागरथ का निधन हुआ, तब उनपर पूरे घर की जिम्मेदारी आ गई थी. उन्होंने फिल्मों में काम करना शुरू किया लेकिन उन्हें काफी समय तक सफलता नहीं मिल पाई थी.
लेकिन फिर जब उन्होंने फिल्में डायरेक्ट करने का सोचा, तब जाकर उनकी किस्मत में एक बड़ा बदलाव आया. उन्होंने अपने ही डायरेक्शन में अपने बेटे ऋतिक को भी लॉन्च किया. उनके बेटे की फिल्म भी खूब चली लेकिन ये खुशी उनके लिए ज्यादा लंबी नहीं टिक पाई थी. ऋतिक की फिल्म 'कहो ना प्यार है' की रिलीज के ठीक एक हफ्ते बाद, राकेश रोशन पर गोली चलाई गई थी.
जब राकेश रोशन को लगी थी गोली
उनपर ये हमला अंडरवर्ल्ड के द्वारा कराया गया था. हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान राकेश रोशन ने खुलासा किया कि उन्होंने गोली लगने के बाद अपने बेटे ऋतिक को कॉल करके उन्हें घर से बाहर नहीं निकलने की सलाह दी थी. फिल्ममेकर ने बताया, 'जब मुझे गोली लगी, मेरा ड्राइवर बहुत घबरा गया था.'
मैंने उससे कहा कि तुम लंबी सांस लो और गाड़ी चलाओ. तब तक मुझे मालूम नहीं पड़ा था कि मेरे शरीर पर गोली लग गई है. हम लोग पहले सीधा पुलिस स्टेशन गए क्योंकि मुझे ऐसा लगा कि जो मेरे शूटर होंगे वो आसपास होंगे. और अगर ऐसा हुआ तो पुलिस उन्हें पकड़ लेगी. इस दौरान मुझे अहसास हुआ कि मेरी शर्ट खून से गीली हो गई है. खून काफी बह रहा था तो मैंने अपना खून रुमाल से रोकने की कोशिश की.
'गोली लगने के बाद ऋतिक को किया था कॉल'

रूसी बैले डांसर क्सेनिया रयाबिनकिना कैसे राज कपूर की क्लासिक फिल्म मेरा नाम जोकर में मरीना बनकर भारत पहुंचीं, इसकी कहानी बेहद दिलचस्प है. मॉस्को से लेकर बॉलीवुड तक का उनका सफर किसी फिल्मी किस्से से कम नहीं. जानिए कैसे उनकी एक लाइव परफॉर्मेंस ने राज कपूर को प्रभावित किया, कैसे उन्हें भारत आने की इजाजत मिली और आज वो कहां हैं और क्या कर रही हैं.

शहनाज गिल ने बताया कि उन्हें बॉलीवुड में अच्छे रोल नहीं मिल रहे थे और उन्हें फिल्मों में सिर्फ प्रॉप की तरह इस्तेमाल किया जा रहा था. इसी वजह से उन्होंने अपनी पहली फिल्म इक कुड़ी खुद प्रोड्यूस की. शहनाज ने कहा कि वो कुछ नया और दमदार काम करना चाहती थीं और पंजाबी इंडस्ट्री में अपनी अलग पहचान बनाना चाहती थीं.

ओटीटी के सुनहरे पोस्टर भले ही ‘नई कहानियों’ का वादा करते हों, पर पर्दे के पीछे तस्वीर अब भी बहुत हद तक पुरानी ही है. प्लेटफ़ॉर्म बदल गए हैं, स्क्रीन मोबाइल हो गई है, लेकिन कहानी की कमान अब भी ज़्यादातर हीरो के हाथ में ही दिखती है. हीरोइन आज भी ज़्यादातर सपोर्टिंग रोल में नज़र आती है, चाहे उसका चेहरा थंबनेल पर हो या नहीं. डेटा भी कुछ ऐसी ही कहानी कहता है.










