
जब एक कोट से ढंक गए 'आशिकी' पर उठ रहे सवाल, गुलशन कुमार से बोले महेश भट्ट, 'नहीं चली तो छोड़ दूंगा इंडस्ट्री'
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राहुल और अनु का चेहरा फिल्म आने के बाद इस कदर पॉपुलर हो गया कि उन्हें रूटीन जिंदगी में परेशानियां होने लगी थीं. जबकि फिल्म रिलीज होने से पहले लोगों ने पोस्टर पर इन दोनों का चेहरा देखा ही नहीं था. है न कमाल? इस कहानी के पीछे है गुलशन कुमार की चिंताएं और महेश भट्ट का एक चैलेंज!
राहुल रॉय और अनु अग्रवाल की फिल्म 'आशिकी' (1990) कितनी आइकॉनिक थी, इस बात का जिक्र बहुत हो चुका है. दो न्यूकमर एक्टर्स की ये फिल्म ना सिर्फ उस साल की सबसे बड़ी हिट्स में से एक थी, बल्कि तबतक बॉलीवुड की सबसे बड़ी म्यूजिकल हिट भी थी. 'आशिकी' का क्रेज लोगों के सिर पर ऐसा चढ़ा कि हर लड़का राहुल रॉय के स्टाइल में बाल रखने लगा था. उधर अनु अग्रवाल के चेहरे की एक झलक पाने के लिए उनके घर के बाहर लड़कों की कतारें लगने लगी थीं.
राहुल और अनु का चेहरा फिल्म आने के बाद इस कदर पॉपुलर हो गया कि उन्हें रूटीन जिंदगी में परेशानियां होने लगी थीं. जबकि फिल्म रिलीज होने से पहले लोगों ने पोस्टर पर इन दोनों का चेहरा देखा ही नहीं था. है न कमाल? डायरेक्टर महेश भट्ट ने तय किया था कि वो पोस्टर में 'आशिकी' के लीडिंग कपल का चेहरा दिखाएंगे ही नहीं और उनकी ये ट्रिक कामयाब भी बहुत हुई. मगर क्या आप जानते हैं कि महेश ने ये ट्रिक इस्तेमाल क्यों की? इस कहानी के पीछे है गुलशन कुमार की चिंताएं और महेश भट्ट का एक चैलेंज!
'आशिकी' की कहानी से पहले बने थे इसके गाने महेश भट्ट की 'आशिकी' बनने की कहानी एक म्यूजिक एल्बम से शुरू होती है. टी-सीरीज के फाउंडर गुलशन कुमार को समीर की लिखीं और नदीम-श्रवण की कंपोज की हुईं कुछ गजलें पसंद आई थीं. गुलशन ने इस म्यूजिकल तिकड़ी को सलाह दी कि इन गजलों को एक म्यूजिक बैंक के लिए रिकॉर्ड कर लेते हैं, जिसमें से फिल्ममेकर्स अपनी पसंद के हिसाब से गाने उठा सकें. और अगर ये गजलें किस ने नहीं भी उठाईं तो इनका एक म्यूजिक एल्बम बना लिया जाएगा.
समीर और नदीम-श्रवण 'चाहत' नाम की इस एल्बम के लिए गाने तैयार करने लगे. महेश भट्ट को इस प्रोजेक्ट का पता चला तो उन्होंने गुलशन कुमार से इसमें से कुछ गजलें सुनने की इजाजत मांगी. उन्हें ये गाने इतने पसंद आए कि इन्हें इस्तेमाल करने के लिए उन्होंने एक नई फिल्म लिखी जिसका नाम था 'आशिकी'. और इस तरह जो गाने म्यूजिक एल्बम 'चाहत' के लिए बन रहे थे, वो 'आशिकी' फिल्म में आ गए.
गाने लिखने वाली तिकड़ी खुश थी कि एक बड़ा म्यूजिक डायरेक्टर उनके गानों के लिए फिल्म बना रहा है. ये गाने एल्बम से बचते हुए फिल्म तक तो आ गए मगर कहानी में एक और ट्विस्ट अभी बाकी था.
जब 'आशिकी' की कामयाबी पर गुलशन कुमार को हुआ शक समीर ने अपनी किताब 'लिरिक्स बाय समीर' में इस किस्से का जिक्र किया है. उन्होंने बताया है कि एक दिन गुलशन कुमार ने कॉल पर उन्हें कहा कि वो 'आशिकी' के गानों का म्यूजिक एल्बम रिलीज नहीं करेंगे. उनका मानना था कि ये गाने फिल्मी गानों जैसे कम और गजल कलेक्शन जैसे ज्यादा लग रहे हैं. समीर का दिल सा बैठ गया और वो नदीम-श्रवण के पास पहुंच गए. अब तीनों निराश थे और तीनों मिलकर डायरेक्टर महेश भट्ट के पास पहुंच गए.

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