
छपरा शराबकांड का गुनहगार कौन? हकीकत का पता लगाने बिहार जाएगी NHRC की टीम
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बिहार में जहरीली शराब का कहर थम नहीं रहा है. छपरा जिले में जहरीली शराब के चलते हुई मौतों का आंकड़ा अब 70 से ज्यादा हो गया है. छपरा के अलावा सारण, सीवान और बेगूसराय में भी लोगों की जान गई है. वहीं NHRC इस मामले में जांच के लिए एक टीम बिहार भेजेगा. आयोग ने निजी अस्पतालों में भर्ती गरीबों के इलाज पर चिंता जाहिर की.
बिहार के छपरा में जहरीली शराब से अब तक 70 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. इस मामले में प्रशासन की घोर लापरवाही के आरोप लगाए जा रहे हैं. वहीं इस बीच अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने इस मामले में जांच करने के लिए एक सदस्य की अध्यक्षता टीम बिहार भेजने का फैसला किया है.
इसके अलावा एनएचआरसी ने शराब कांड के शिकार लोगों के इलाज के लिए दिए जा रहे चिकित्सा उपचार के संबंध में भी अपनी चिंता जाहिर की. दरअसल ये लोग मुख्य रूप से गरीब परिवारों से हैं और निजी अस्पतालों में महंगा इलाज कराने में सक्षम नहीं हैं. आयोग का कहना है कि राज्य सरकार के लिए यह बेहद जरूरी है कि जहां कहीं भी संभव हो, पीड़ितों को बेहतर से बेहतर इलाज दिया जाए. आयोग राज्य सरकार द्वारा दी गई राहत और पुनर्वास के बारे में भी जानकारी जुटाएगा.
बिहार सरकार के कदमों पर रिपोर्ट मांगेगी टीम
आयोग ने कहा कि छपरा शराब कांड की जांच के लिए बिहार आने वाली टीम पूरे प्रदेश में अवैध शराब बनाने वाले हॉटस्पॉट को खत्म करने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों और भविष्य में उठाए जाने वाले कदमों को लेकर विस्तृत जानकारी मांगेगी. छपरा जहरीली शराब कांड पर एनएचआरसी ने चार हफ्ते में मुख्य सचिव और डीजीपी के माध्यम से बिहार सरकार से एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.
प्रतिबंध के बाद नहीं रुक रहीं ऐसी घटनाएं
आयोग ने अप्रैल 2016 से राज्य में शराबबंदी के बावजूद अवैध और नकली शराब की बिक्री को रोकने में विफल रहने के लिए राज्य सरकार की भी आलोचना की. आयोग ने कहा कि अप्रैल 2016 में बिहार सरकार ने राज्य में शराब की बिक्री और खपत पर प्रतिबंध लगा दिया था, इसके बाद भी ऐसी घटनाएं नहीं रुक रही हैं यानी यह प्रतिबंध अवैध और नकली शराब की बिक्री को रोकने में सक्षम नहीं है.

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