
चुनाव से ठीक पहले क्या मिलेगी EMI में राहत? अब से कुछ देर में रेपो रेट पर RBI का ऐलान
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माना जा रहा है कि लगातार सातवीं बार भी RBI प्रमुख उधार दरों में किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं करेगी. लेकिन RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास अपने फैसलों से चौंका भी सकते हैं.
नए कारोबारी साल 2024-25 में RBI की पहली मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक का फैसला आज आने वाला है, दरअसल, बुधवार से तीन दिवसीय MPC की बैठक चल रही है. अब आज रेपो रेट (Repo Rate) पर फैसला लिया जाएगा, अगर किसी तरह का बदलाव होता है तो उसका असर ब्याज दरों पर देखने को मिलेगा.
बता दें, RBI ने लगातार छह बार से रेपो रेट को स्थिर बनाया हुआ है. माना जा रहा है कि लगातार सातवीं बार भी RBI प्रमुख उधार दरों में किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं करेगी. इस साल के आखिर से पहले रेट कट का अनुमान जताया गया है. हालांकि RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास अपने फैसलों से चौंका भी सकते हैं.
वहीं SBI की रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में रेपो रेट में कटौती कर सकती है. बैंक ने कहा है कि अमेरिका और ब्रिटेन जैसी विकसित अर्थव्यवस्थाओं में रेट चेंज के करीब 2 महीनों के बाद उभरती अर्थव्यवस्थाएं ब्याज दरों में बदलाव करती हैं.
महंगाई दर तय करेगी ब्याज दर! SBI रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि RBI फिलहाल अपना रुख नहीं बदलेगा, क्योंकि अभी फ्यूल के दाम के साथ खाद्य कीमतों के उतार-चढ़ाव की वजह से महंगाई पर असर हो रहा है. देश में महंगाई दर में बदलाव खाद्य पदार्थों की बदलती कीमतों की वजह से तय होगा. महंगाई दर की चाल को लेकर भी SBI ने अपनी रिपोर्ट में विस्तार से जानकारी दी है, जिसके मुताबिक जनवरी-मार्च तिमाही में महंगाई दर 5 फीसदी से कुछ ऊपर रह सकती है.
लेकिन इस बीच कोर रिटेल महंगाई दर गिरकर 3.37 फीसदी के 52 महीने के निचले स्तर पर आ गई है. इसके बाद जुलाई तक कुल महंगाई दर में भी गिरावट आने का अनुमान है और फिर सितंबर में इसके दोबारा बढ़कर 5.4 फीसदी के इस साल के उच्चतम स्तर पर पहुंचने का अनुमान है लेकिन इसके बाद इसमें गिरावट का भरोसा जताते हुए कहा गया है कि 2024-25 में रिटेल महंगाई दर औसतन साढ़े 4 परसेंट रहने की संभावना है.
अक्टूबर-दिसंबर में घटेगी EMI! RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी अमेरिका और ब्रिटेन जैसी कुछ विकसित अर्थव्यवस्थाओं के अगले कदम पर बारीकी से नजर रखेगी. विकसित देशों की बात करें तो स्विट्जरलैंड पहली बड़ी अर्थव्यवस्था है जिसने पॉलिसी रेट्स में कटौती की है. वहीं, दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जापान ने आठ साल बाद नकारात्मक ब्याज दर की स्थिति को खत्म किया है.













