'चुनाव कंट्रोल नहीं कर सकते...', VVPAT से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला
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जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दत्ता की पीठ ने कहा कि, "हम चुनावों को कंट्रोल नहीं कर सकते, हम किसी अन्य संवैधानिक प्राधिकरण के कामकाज को नियंत्रित नहीं कर सकते. ईसीआई ने संदेह दूर कर दिया है. हम आपकी विचार प्रक्रिया को नहीं बदल सकते, हम ये नहीं कर सकते कि सिर्फ संदेह के आधार पर सुप्रीम ऑर्डर जारी कर दें.'
सुप्रीम कोर्ट में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के जरिए डाले गए वोटों के साथ सभी वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) की सभीपर्चियों के मिलान की मांग करने वाली याचिकाओं को लेकर बुधवार को सुनवाई की. बुधवार सुबह सुप्रीम कोर्ट ने EVM- VVPAT मामले में इस तकनीक से जुड़े चार- पांच और बिंदुओं पर जानकारी मांगी और निर्वाचन आयोग के अफसरों को दोपहर दो बजे बाद बुलाया था.
इस सुनवाई के बाद जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दत्ता की पीठ ने कहा कि, "हम चुनावों को कंट्रोल नहीं कर सकते, हम किसी अन्य संवैधानिक प्राधिकरण के कामकाज को नियंत्रित नहीं कर सकते. ईसीआई ने संदेह दूर कर दिया है. हम आपकी विचार प्रक्रिया को नहीं बदल सकते, हम ये नहीं कर सकते कि सिर्फ संदेह के आधार पर सुप्रीम ऑर्डर जारी कर दें.'
जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि हम मेरिट पर दोबारा सुनवाई नहीं कर रहे हैं. हम कुछ निश्चित स्पष्टीकरण चाहते हैं. हमारे कुछ सवाल थे और हमें जवाब मिल गए. फैसला सुरक्षित रख रहे हैं.
इस दौरान कोर्ट में कुछ आधे घंटे से अधिक की सुनवाई चली. याचिकाकर्ताओं में से एक के लिए वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट में कहा कि, 'ईवीएम में प्रोसेसर चिप सिर्फ एक बार ही प्रोग्राम कर सकती है, इस पर संदेह है.
जस्टिस खन्ना: उन्होंने संदेह स्पष्ट कर दिया है.
प्रशांत भूषण: ईवीएम की निर्माता कंपनी ने AnnexP है. हमने कंपनी की वेबसाइट से माइक्रोकंट्रोलर की खासियतें जानने की कोशिश की, उन्हें डाउनलोड किया. इस माइक्रोकंट्रोलर में एक फ्लैश मेमोरी भी है. इसलिए यह कहना कि उसका माइक्रोकंट्रोलर रिप्रोग्रामेबल नहीं है, सही नहीं है. ऐसा कंप्यूटर एक्सपर्ट भी कहते हैं.
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