
चीन से इतना क्यों डरते हैं ट्रंप? सबसे बड़ा कम्पटिटर, रूसी तेल का नंबर वन खरीदार, फिर भी टैरिफ कम!
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चीन लगभग हर सेक्टर में अमेरिका को चुनौती दे रहा है. वह रूसी तेल भी भारत से ज्यादा खरीदता है, जिसे लेकर अमेरिका ने भारत पर 25 फीसदी एक्स्ट्रा टैरिफ लगाया है. साथ ही अमेरिका का चीन के साथ वित्तीय घाटा भी बहुत ज्यादा है, फिर भी ट्रंप ने चीन पर भारत की तुलना में कम टैरिफ लगाए हैं आखिर क्यों?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले महीने भारत पर कुल टैरिफ को बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया, जिसके पीछे की वजह बताते हुए कहा गया कि भारत रूसी तेल की खरीदारी कर रहा है, जिस कारण 25% टैरिफ को बढ़ाकर 50% किया जा रहा है. जबकि भारत से ज्यादा और रूसी तेल का नंबर वन खरीदार चीन है, लेकिन उसपर कोई एक्स्ट्रा टैरिफ नहीं लगाया गया है. सिर्फ 34% बेस टैरिफ ही लागू है.
इतना ही नहीं अमेरिका चीन को अपने सबसे बड़े कम्पटिटर में से एक मानता है. अक्सर दोनों देशों के बीच टेक्नोलॉजी, डिफेंस और ग्लोबल प्रभाव को लेकर प्रतिस्पर्धा रहती है. साथ ही अमेरिका का व्यापार घाटा चीन के साथ अन्य देशों की तुलना में बहुत ज्यादा है... अब सवाल उठता है कि इन सभी कारणों के बावजूद चीन पर अमेरिका अतिरिक्त कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा है, आखिर ट्रंप को किस बात का डर है? आइए विस्तार से समझते हैं, लेकिन उससे पहले कुछ आंकड़े जानना जरूरी है.
अमेरिका और चीन के बीच व्यापार घाटा वित्त वर्ष 2024 में अमेरिका का चीन के साथ व्यापार घाटा 295.5 अरब डॉलर था, जो 2023 की तुलना में लगभग 5.7% ज्यादा था. इसमें अमेरिका ने चीन को 143.2 अरब डॉलर का निर्यात किया था और चीन से आयात 438.7 अरब डॉलर का था. वहीं महीने के आधार पर आंकड़ा देखें तो जून 2025 में अमेरिका-चीन व्यापार घाटा घटरक 9.4 अरब डॉलर रहा.
अमेरिका का सबसे बड़ा कम्प्टीटर है चीन
रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार है चीन भारत की तुलना में चीन रूस से तेल की खरीदारी ज्यादा करता है. यह रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार है. साल 2024 में चीन ने रूस से करीब 109 मिलियन टन तेल आया किया, जो उसके कुल एनर्जी इम्पोर्ट का 20 फीसदी था. वहीं भारत ने इस दौरान करीब 88 मिलियन टन तेल रूस से आया किया. जून 2025 के आंकड़ों के अनुसार, रूस के समुद्री क्रूड एक्सपोर्ट्स में चीन का हिस्सा लगभग 47% था, जबकि भारत का हिस्सा 38% था.













