चिराग ने ठोका हाजीपुर सीट पर दावा, पशुपति बोले- उन्हें जमुई से हार का डर सता रहा
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लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दल बीजेपी के खिलाफ एकजुट होने की कोशिश में जुटे हैं. तो वहीं वहीं बीजेपी अपने एनडीए गठबंधन को मजबूत करने में लगी है. इसी दिशा में बीजेपी बिहार में एलजेपी के दोनों गुटों को भी एकजुट करने की कोशिश में लगी है. लेकिन एक लोकसभा सीट पर दोनों गुटों की दावेदारी से मामला बिगड़ता हुआ दिख रहा है.
दिल्ली में मंगलवार को होने वाली NDA की बैठक से पहले एलजेपी के दोनों गुटों यानी चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति पारस में जुबानी जंग छिड़ गई है. इस जंग के पीछे मुख्य वजह है... हाजीपुर लोकसभा सीट. इस सीट पर चिराग पासवान और पशुपति पारस दोनों ने अपना अपना दावा ठोकते हुए 2024 लोकसभा चुनाव में यहां से लड़ने का ऐलान किया है. दरअसल, हाजीपुर सीट रामविलास पासवान की परंपरागत सीट रही है. इससे अभी पशुपति कुमार पारस सांसद हैं. जबकि रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान जमुई से सांसद हैं.
चिराग पासवान हाल ही में एनडीए में शामिल हुए. वे मंगलवार को होने वाली एनडीए की बैठक में भी शामिल होंगे. इससे पहले उन्होंने आजतक से बातचीत में हाजीपुर सीट पर दावेदारी ठोकी है. उन्होंने कहा, 'हाजीपुर पर दावा करने के लिए मेरे पास अपनी वजह है. वह सीट मेरे पिता रामविलास की पर्याय है और हाजीपुर के प्रति मेरी जिम्मेदारी है.'
चिराग ने बताया, हाजीपुर पर क्यों कर रहे दावा
उधर, चिराग के चाचा पशुपति पारस भी हाजीपुर पर अपना दावा कर रहे हैं. ऐसे में चाचा के दावे पर उन्होंने कहा, हर कोई अपने दावे करता है. वह वहां से मौजूदा सांसद हैं, लेकिन हाजीपुर से दावेदारी के मेरे अपने कारण हैं. मैंने जबसे होश संभाला, तबसे अपने पिता रामविलास को वहां प्रतिनिधित्व करते देखा. कुछ काम उन्होंने किए कुछ रह गए. इसलिए हाजीपुर के प्रति मेरी जिम्मेदारी है. उनके बचे हुए कामों को पूरा करना है.
चाचा के खिलाफ कभी टिप्पणी नहीं की- चिराग
चिराग ने कहा, मुझे पूरा विश्वास है कि हमारी पार्टी हाजीपुर से चुनाव लड़ेगी. वहीं जब उनसे चाचा पशुपति पारस के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह मेरे चाचा ही हैं, उनके खिलाफ कभी कोई टिप्पणी नहीं की.
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