चाय-समोसे, गाजे-बाजे, ठुमके... पहली बार एक वोट पर 30 पैसा हुए थे खर्च, जानिए अब एक वोट की कीमत?
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अब एक वोट के लिए खर्च का हिसाब निकालें तो पता चलता है कि देश में पहली बार जब 1951 में आम चुनाव हुए थे, तब करीब 17 करोड़ वोटर्स ने भाग लिया था. उस वक्त हरऐक मतदाता पर 60 पैसे का खर्च आया था. जबकि इस चुनाव में कुल 10.5 करोड़ रुपये खर्च हुए थे.
चुनाव है, तो नेताजी गली-गली घूमेंगे, हरऐक वोटर पर हरऐक पार्टी की नजर होगी. वैसे लोकतंत्र के लिए चुनाव एक पर्व है, और लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) तो महापर्व से कम नहीं. गली-मोहल्ले, चौक-चौराहे बैनर-पोस्टर और बड़े-बड़े होर्डिंग्स से पट जाते हैं. एक नेता का काफिला निकलता है, तो दूसरे का पहुंच जाता है. लाउडस्पीकर पर नेता की जय-जयकार होता है. वोटर्स को लुभाने के लिए गीत-संगीत का तड़का भी लगाया जाता है, छोटे-बड़े पर्दे के सितारों की भी मदद ली जाती है. ये सबकुछ केवल एक-एक वोट के लिए किया जाता है.
चुनाव में पैसे को पानी की तरह बहाया जाता है, दरअसल, ये आम धारणा है. लेकिन हकीकत में एक-एक वोट का हिसाब-किताब होता है. एक वोट के लिए कितना खर्च हो रहा है. सबका लेखा-जोखा रखा जाता है. ये आज की बात नहीं है, जब से चुनाव प्रणाली की शुरुआत हुई है तब से, आजादी के बाद से अबतक के हिसाब मौजूद हैं. हालांकि समय के बाद चुनाव के लिए खर्च भी बढ़े हैं और तरीके भी.
EVM पर बड़ा खर्च
पहले बैलट पेपर के जरिए वोटिंग होती थी, अब ईवीएम के जरिए मतदान हो रहा है. टेक्नोलॉजी में विस्तार की वजह से वोटिंग के तरीके बदले हैं. 2004 से हर लोकसभा चुनाव EVM के जरिये हो रहा है. आज के समय में चुनाव आयोग के लिए निष्पक्ष और सुचारु ढंग से चुनाव कराना महंगा हो गया है. क्योंकि एक बड़ा फंड EVM खरीदने और उसके रख-रखाव पर जाता है.
अगर चुनावी खर्च की बात की जाए तो इसकी मुद्रास्फीति सूचकांक के आधार पर तय होती है. बीते वर्षों में सेवाओं और वस्तुओं की कीमतों में हुई वृद्धि के आधार पर खर्च की सीमा तय की जाती है. देश में आजादी के बाद साल 1951 में पहला आम चुनाव हुआ था. इस चुनाव में करीब 10.5 करोड़ रुपये खर्च हुआ था. चुनाव आयोग के मुताबिक 1951 कुल 17.32 मतदाता थे,जो साल 2019 में बढ़कर 91.2 करोड़ हो गए थे. आयोग के मुताबिक 2024 के चुनाव में 98 करोड़ मतदाता अपने मत का इस्तेमाल करेंगे.
मोदी सरकार पहली बार 2014 में सत्ता में आई थी. चुनाव आयोग के मुताबिक इस चुनाव को कराने में करीब 3870 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. इससे पहले 2009 लोकसभा चुनाव में 1114.4 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. 2009 के मुकाबले में 2014 में चुनावी खर्च करीब तीन गुना बढ़ गया. वहीं पिछला चुनाव, यानी 2019 में चुनावी खर्च करीब 6600 करोड़ रुपये रहा था.