गोवा और उत्तराखंड... दो राज्य, कांग्रेस के एक जैसे हालात, पढ़ें- बगावतों की Inside Story
AajTak
महाराष्ट्र में शिवसेना विधायकों की बगावत के कारण कांग्रेस सत्ता गंवा चुकी है और अब गोवा व उत्तराखंड में उसके सामने चुनौती खड़ी हो गई है. यहां पार्टी सत्ता में तो नहीं है, लेकिन मुख्य विरोधी दल जरूर है. ऐसे में इन दोनों राज्यों में भी कांग्रेस में सेंधमारी की अटकलों ने कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी है.
सियासी तौर पर कांग्रेस की मुसीबतें कम होती नजर नहीं आ रही हैं. महाराष्ट्र में कांग्रेस गठबंधन की सत्ता जा चुकी है और अब अन्य राज्यों से भी पार्टी में बगावत के सुर सुनाई पड़ रहे हैं. गोवा से लेकर उत्तराखंड तक कांग्रेस में हलचल बढ़ गई है. हालांकि, दोनों ही राज्यों में पार्टी सत्ता से बाहर है लेकिन जितना बचा है उसमें भी सेंधमारी की कोशिशें होती दिखाई दे रही हैं.
बीजेपी के गोवा प्रभारी और महासचिव सीटी रवि ने दावा किया है कि कांग्रेस के 11 विधायक अपनी पार्टी छोड़कर बीजेपी ज्वाइन करने को तैयार हैं. सीटी रवि ने कहा है कि कांग्रेस विधायक और नेता बीजेपी के संपर्क में हैं और वो जल्द ही पार्टी में शामिल होंगे.
सीटी रवि का ये दावा कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका है. ये सिर्फ विरोधी दल के नेता का बयान भर नहीं है, बल्कि गोवा में हालात भी कुछ ऐसे ही हैं.
11 में से 5 विधायक हो गए थे नॉट रीचेबल
40 विधानसभा सदस्यों वाले गोवा में कांग्रेस के कुल 11 विधायक हैं. रविवार को इनमें से 5 विधायक से संपर्क नहीं हो सका. माइकल लोबो, दिगंबर कामत, केदार नाइक, राजेश फलदेसाई और डेलियाला लोबो से कांग्रेस का संपर्क टूटा तो राज्य में सियासी तूफान खड़ा हो गया.
कांग्रेस ने खुलकर ये कह दिया कि बीजेपी उनकी पार्टी को तोड़ने की साजिश रच रही है और इसमें उसका साथ माइकल लोबो और दिगंबर कामत दे रहे हैं. रविवार को गोवा के कांग्रेस प्रभारी दिनेश गुंडू राव ने आरोप लगाया कि माइकल लोबो और कामत पार्टी को तोड़ने की साजिश रच रहे हैं.
नायडू पहली बार 1995 में मुख्यमंत्री बने और उसके बाद दो और कार्यकाल पूरे किए. मुख्यमंत्री के रूप में उनके पहले दो कार्यकाल संयुक्त आंध्र प्रदेश के नेतृत्व में थे, जो 1995 में शुरू हुए और 2004 में समाप्त हुए. तीसरा कार्यकाल राज्य के विभाजन के बाद आया. 2014 में नायडू विभाजित आंध्र प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के रूप में उभरे और 2019 तक इस पद पर रहे. वे 2019 का चुनाव हार गए और 2024 तक विपक्ष के नेता बने रहे.
जम्मू-कश्मीर के रियासी में हुए आतंकी हमले में 10 लोगों की जान गई. इस हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ है. इन पाकिस्तानी आतंकवादियों की पहचान तक हो चुकी है. उनके नाम अब्बू, हमजा और फौजी. इनके चेहरे कैमरे पर कैद हुए हैं. ये वो सबूत हैं, जो चीख-चीखकर कह रहे हैं कि रियासी के हमले में पाकिस्तान का ही हाथ था.