
गाजा के रफाह में इजरायली टैंकों ने किया कत्लेआम, महज दो दिन में मारे गए इतने लोग, मच गया कोहराम
AajTak
गाजा के रफाह में इजरायली सेना ने फिर से हमला कर दिया. इसमें कम से कम 37 लोग मारे गए, जबकि सैकड़ों लोग घायल बताए जा रहे हैं. ये हमले ऐसे वक्त में हो रहे हैं जब फिलिस्तीन को नॉर्वे, स्पेन और आयरलैंड ने आधिकारिक तौर पर देश माना और यूएन चीफ ने हमले की सख्त निंदा की है.
फिलिस्तीन को देश के तौर पर नॉर्वे, स्पेन और आयरलैंड के आधिकारिक मान्यता दिए जाने के बीच गाजा के रफाह में इजरायली सेना का हमला तेज हो गया है. इजरायल के घातक मर्कवा ट्रैंक पहली बार रफाह के अंदर तक घुस चुके हैं. यहां तक कि सिटी सेंटर पर आईडीएफ का कब्जा हो चुका है. इजरायल ने एक बार फिर वहां मौजूद शरणार्थी शिविरों पर हमला किया है, जिसकी वजह से बड़े पैमाने पर जानमाल का नुकसान हुआ है.
फिलिस्तीनी स्वास्थ्या अधिकारियों के मुताबिक मंगलवार की रात तक हुए हमले में 37 लोग मारे गए है. वहीं दोपहर में हुए ड्रोन हमले में 21 लोगों की मौत हुई थी. मरने वालों में 13 महिलाएं भी शामिल हैं. 64 लोग घायल हुए हैं. इनमें से 10 की हालत नाज़ुक बनी हुई है. इस तरह महज दो दिनों में गाजा के रफाह में 82 बेकसूर फिलिस्तिनीयों की मौत हो चुकी है. इजरायल के इस नरसंहार के बाद चारों तरफ कोहराम मचा हुआ है.
चश्मदीदों के मुताबिक ये हमला मंगलवार की दोपहर में रफाह के मुवासी क्षेत्र में एक फील्ड अस्पताल के पास टेंट पर हुआ. यहां मौजूद एक फिलिस्तीनी अहमद नसर ने बताया, ''हमारी आंखों के सामने ही हमारे रिश्तेदारों की मौत हो गई. हम सभी घर में आराम कर रहे थे. तभी जोर के धमाके की आवाज आई. हम बाहर निकलकर देखे तो 18 लोगों की मौत हो चुकी थी. इसमें मेरे चार चचेरे भाई और उनके बीवी-बच्चे शामिल थे.''
अमेरिका ने की इस हमले की निंदा
रफाह मे रविवार की रात ताल अल-सुल्तान के इलाके में इजरायली वायु सेना ने एक शरणार्थी शिविर को निशाना बनाया था. इसमें 45 फिलिस्तीनी मारे गए थे, जिसमें ज़्यादातर बच्चे और महिलाएं थीं. इस हमले के बाद अमेरिका ने इसकी निंदा की थी. इजरायली जमीनी सैन्य ऑपरेशन को गैरज़रूरी बताया था. इजरायल के पूर्व पीएम ओलमर्ट ने भी कहा कि रफाह में इजरायली हमला देशहित में नहीं है. नेतन्याहू ने भी गलती मानी थी.
नेतन्याहू ने कहा था- गलती हो गई!

भारत आने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप और इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन के साथ एक विशेष बातचीत की. इस बातचीत में पुतिन ने वैश्विक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय दी, खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध पर. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस युद्ध का दो ही समाधान हो सकते हैं— या तो रूस युद्ध के जरिए रिपब्लिक को आजाद कर दे या यूक्रेन अपने सैनिकों को वापस बुला ले. पुतिन के ये विचार पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह युद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी चिंता का विषय बना हुआ है.

कनाडा अगले साल PR के लिए कई नए रास्ते खोलने जा रहा है, जिससे भारतीय प्रोफेशनल्स खासकर टेक, हेल्थकेयर, कंस्ट्रक्शन और केयरगिविंग सेक्टर में काम करने वालों के लिए अवसर होंगे. नए नियमों का सबसे बड़ा फायदा अमेरिका में H-1B वीज़ा पर फंसे भारतीयों, कनाडा में पहले से वर्क परमिट पर मौजूद लोगों और ग्रामीण इलाकों में बसने को तैयार लोगों को मिलेगा.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक के 'वर्ल्ड एक्सक्लूसिव' इंटरव्यू में दुनिया के बदलते समीकरणों और भारत के साथ मजबूत संबंधों के भविष्य पर खुलकर बात की. पुतिन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी किसी के दबाव में काम नहीं करते. उन्होंने भारत को विश्व विकास की आधारशिला बताया और स्पेस, न्यूक्लियर तकनीक समेत रक्षा और AI में साझेदारी पर जोर दिया.

पुतिन ने कहा कि अफगानिस्तान की सरकार ने बहुत कुछ किया है. और अब वो आतंकियों और उनके संगठनों को चिह्नि्त कर रहे हैं. उदाहरण के तौर पर इस्लामिक स्टेट और इसी तरह के कई संगठनों को उन्होंने अलग-थलग किया है. अफगानिस्तान के नेतृत्व ने ड्रग्स नेटवर्क पर भी कार्रवाई की है. और वो इस पर और सख्ती करने वाले हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वहां जो होता है उसका असर होता है.

भारत दौरे से ठीक पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक को दिए अपने 100 मिनट के सुपर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में भारत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, G8 और क्रिमिया को लेकर कई अहम बातें कही हैं. इंटरव्यू में पुतिन ने ना सिर्फ भारत की प्रगति की तारीफ की, बल्कि रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाई देने का भरोसा भी जताया.

यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन का आजतक से ये खास इंटरव्यू इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि इसमें पहली बार रूस ने ट्रंप की शांति कोशिशों को इतनी मजबूती से स्वीकारा है. पुतिन ने संकेत दिया कि मानवीय नुकसान, राजनीतिक दबाव और आर्थिक हित, ये तीनों वजहें अमेरिका को हल तलाशने पर मजबूर कर रही हैं. हालांकि बड़ी प्रगति पर अभी भी पर्दा है, लेकिन वार्ताओं ने एक संभावित नई शुरुआत की उम्मीद जरूर जगाई है.







