
क्या है प्रोग्रेसिव अलायंस, जिसकी बैठक के लिए राहुल गांधी जर्मनी पहुंचे, क्यों भारत से 2 ही दल इसके सदस्य?
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लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी शीतकालीन सत्र के दौरान जर्मनी दौरे पर हैं. इसे लेकर काफी बहसाबहसी भी हो रही है. अब इसपर सफाई देते हुए कांग्रेस ने कहा कि वे प्रोग्रेसिव अलायंस के बुलावे पर बाहर गए हैं. 117 पार्टियों वाला ये गठबंधन एक ग्लोबल मंच है, जिससे कई थिंक टैंक और एनजीओ भी जुड़े हैं.
संसद के शीतकालीन सत्र के बीच नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी जर्मनी दौरे पर चले गए. इसे लेकर मचे घमासान के बीच कांग्रेस ने कहा कि वे घूमने के लिए जर्मनी नहीं गए, बल्कि दुनियाभर की पार्टियों के एक संगठन के आमंत्रण पर वहां पहुंचे हैं. प्रोग्रेसिव एलायंस नाम से इस ग्लोबल नेटवर्क में मुख्यधारा दलों के अलावा थिंक टैंक और एनजीओ भी शामिल हैं.
यहां कई सवाल आते हैं - क्या है यह नेटवर्क और किस विचारधारा पर काम करता है? - इसका मकसद क्या है? - भारत से इसमें कौन से दल शामिल हैं? - क्या इसे लेकर कभी, कोई विवाद भी रहा?
प्रोग्रेसिव अलायंस की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं तो वहां संक्षिप्त जानकारी मिलती है. इसके मुताबिक, यह अलायंस अलग-अलग देशों के प्रगतिशील, समाजवादी और मजदूर दलों का इंटरनेशनल ग्रुप है. इसके साथ कई थिंक टैंक, फाउंडेशन और इंटरनेशनल एनजीओ भी जुड़े हुए हैं. जर्मनी के लाइपजिग शहर में इसका हेडक्वार्टर है.
यह मंच दुनिया भर के नेताओं और राजनीतिक संगठनों को जोड़ता है ताकि ग्लोबल समस्याओं पर मिलकर सोचा जा सके और काम किया जा सके. साथ ही जैसा कि वेबसाइट कहती है, अलायंस क्षेत्रीय नेटवर्किंग बनाने और इंटरनेशनल कैंपेन को आगे ले जाने पर फोकस करता है.
फ्रीडम, जस्टिस और सॉलिडेरिटी- ये तीन चीजें प्रोग्रेसिव अलायंस का मूल मंत्र हैं. साथ ही अंग्रेजी में लिखा है- वी आर प्रोग्रेसिव, जो एक तरह से अपनी सोच का डिक्लेरेशन है.
क्या किसी खास विचारधारा पर केंद्रित है दल

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