
क्या था कारगिल युद्ध का 'ऑपरेशन सफेद सागर'? जब पाकिस्तान पर बरपा कहर, अब नेटफ्लिक्स पर आ रहा है शो
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कारगिल युद्ध में वायु सेना के योगदान पर ज्यादा फिल्में नहीं हैं. 'गुंजन सक्सेना' के अलावा और किसी फिल्म में कारगिल युद्ध का ये हिस्सा बहुत ज्यादा एक्सप्लोर नहीं किया गया. आइए बताते हैं कारगिल युद्ध के ऑपरेशन 'सफेद सागर' में ऐसा हुआ क्या था जिसपर अब नेटफ्लिक्स शो बनाने जा रहा है.
भारत की जनसंख्या के एक बड़े हिस्से ने देश का जो पहला और आखिरी युद्ध देखा है, वो है 1999 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुआ कारगिल युद्ध. 'LOC कारगिल' (2003) से लेकर 'गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल' (2020) तक करीब 10 से ज्यादा फिल्में भारत के इस आखिरी युद्ध को अलग-अलग एंगल से पर्दे पर उतार चुकी हैं.
फिल्मों में इस युद्ध को अधिकतर जमीनी लड़ाई की शक्ल में, भारतीय सेना और वीरों के युद्ध कौशल को हाईलाइट करते हुए दिखाया गया है. मगर कारगिल युद्ध में वायु सेना के योगदान पर ज्यादा फिल्में नहीं हैं. 'गुंजन सक्सेना' के अलावा और किसी फिल्म में कारगिल युद्ध का ये हिस्सा बहुत ज्यादा एक्सप्लोर नहीं किया गया. लेकिन अब नेटफ्लिक्स की एक सीरीज, कारगिल युद्ध में हुए ऑपरेशन सफेद सागर को पर्दे पर एक्सप्लोर करने जा रही है.
इस सीरीज का नाम है 'सफेद सागर'. इसके डायरेक्टर ओनी सेन हैं जिन्होंने अरशद वारसी स्टारर सीरीज 'असुर' डायरेक्ट की है. 'सफेद सागर' में 'मुंज्या' फेम अभय वर्मा के साथ साउथ के एक्टर सिद्धार्थ, जिम्मी शेरगिल और दीया मिर्जा भी काम करने वाले हैं. आइए बताते हैं कारगिल युद्ध के ऑपरेशन 'सफेद सागर' में ऐसा हुआ क्या था जिसपर अब नेटफ्लिक्स शो बनाने जा रहा है.
कारगिल में वायु सेना का ऑपरेशन सफेद सागर कारगिल युद्ध के दौरान इंडियन एयर फोर्स (IAF) के ऑपरेशन्स को 'ऑपरेशन सफेद सागर' नाम दिया गया था. इसकी शुरुआत IAF के चीता हेलिकॉप्टर्स के रेकी मिशन से हुई थी. जब पाकिस्तान की तरफ से भारतीय सीमा में घुसपैठ शुरू हुई तो पहले इस मिशन के जरिए ही स्थिति की गंभीरता का पता लगाया गया. इन हेलिकॉप्टर्स में ना कोई कैमरा होता था ना सेंसर, ये हथियारों से भी लैस नहीं थे और इनमें सिंगल इंजन होता था. पायलट्स इन्हें ऐसे इलाकों में लेकर उड़ रहे थे जहां ऑक्सीजन और हवा की डेन्सिटी दोनों बहुत कम रहते हैं.
हवाई रेकी से स्थिति का पता लगने के बाद IAF ने 8 MI-17 हेलिकॉप्टर्स को काम पर लगाया. सेना की टुकड़ियों को ट्रांसपोर्ट करना, हथियार और कई जरूरी सप्लाई लेकर जाना इन हेलिकॉप्टर्स के हिस्से था. ऐसे ही एक मिशन के दौरान IAF का एक कैनबरा एयरक्राफ्ट, पाकिस्तानी हिट का शिकार हो गया था. मगर पायलट ने शानदार स्किल दिखाते हुए इसे एक इंजन के सहारे श्रीनगर में लैंड करवाया था.
जमीन पर ही नहीं, हवा में भी वीरता दिखा रहा था भारत ट्रांसपोर्ट और सप्लाई के साथ-साथ घायल सैनिकों को एंगेजमेंट पॉइंट से लेकर वापस आना IAF एयरक्राफ्ट्स के हिस्से था. सेना को युद्ध लड़ने के लिए लगातार हथियारों की जरूरत पड़ती थी लेकिन इन्हें सड़क के रास्ते पहुंचाना मुश्किल था. ये काम IAF करती थी. ग्रुप कैप्टन प्रवीर पुरोहित (रिटायर्ड) ने फाइनेंशियल एक्सप्रेस में ऑपरेशन सफेद सागर के बारे में बताया कि शुरुआत में IAF को, जमीन पर युद्ध लड़ रही सेना को सपोर्ट देने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था. लेकिन राजनीतिक मंजूरी मिलने के बाद हेलिकॉप्टर्स को हथियारों से लैस किया गया और भारतीय इलाकों पर कब्जा किए बैठे दुश्मनों को खदेड़ने में इन्हें इस्तेमाल किया गया.

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