कौन था वो पहला इंडियन, जिसने कान्स फिल्म फेस्टिवल में जूरी बनकर रचा इतिहास, सिलसिला अबतक नहीं थमा
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साल 1982 में कान्स फिल्म फेस्टिवल में फिल्म 'खारिज' का स्क्रीन किया गया था. फिल्म चाइल्ड एक्स्प्लॉइटेशन पर आधारित थी. फिल्म की कहानी इतनी संजीदा और गंभीर थी कि वहां मौजूद हर कोई इमोशनल हो गया था. इस फिल्म को स्पेशल जूरी प्राइज से नवाजा गया था.
कान्स फिल्म फेस्टिवल 2023 शुरू हो चुका है. और हमारे इंडियन सेलेब्स भी इस फेस्टिवल में हिस्सा लेने पहुंच चुके हैं. एक-एक करके एक्टर-एक्ट्रेस रेड कारपेट पर अपने बेस्ट लुक में नजर आ रहे हैं. 27 मई तक चलने वाले इस फेस्टिवल में हर साल वर्ल्डवाइड सिनेमा बिजनेस से लोग आते हैं. बेस्ट फिल्म्स को अवॉर्ड मिलता है. उसकी कहानी की सराहना होती है और कई बार मौजूदा कास्ट को स्टैंडिंग ओवेशन भी इसके लिए दी जाती है. सिर्फ इतना ही नहीं, अवॉर्ड देने के लिए जो हर साल जूरी बैठती है, उसमें इंडियन सिनेमा से कोई एक व्यक्ति मौजूद रहता है. और यह सिलसिला पिछले 41 सालों से चल रहा है. पर क्या आप जानते हैं कि आखिर वह पहला इंडियन कौन था, जिसने इसकी शुरुआत की? नहीं तो हम आपको बताते हैं...
फिल्ममेकर मृणाल सेन बने पहले इंडियन सेलेब साल 1982 में कान्स फिल्म फेस्टिवल में फिल्म 'खारिज' की स्क्रीनिंग किया गया था. फिल्म चाइल्ड एक्स्प्लॉइटेशन पर आधारित थी. फिल्म की कहानी इतनी संजीदा और गंभीर थी कि वहां मौजूद हर कोई इमोशनल हो गया था. इस फिल्म को स्पेशल जूरी प्राइज से नवाजा गया था. यह इकलौती ऑफबीट फिल्म थी जो बाकी की फिल्मों से एकदम अलग थी. वैसे भारतीय सिनेमा से और भी फिल्में थीं जो इस फेस्टिवल में पहुंची थीं, वह थीं 'एक दिन प्रतिदिन', Khandar और Genesis.
कौन थे मृणाल सेन? मृणाल सेन पेशे से फिल्ममेकर थे. बंगाली फिल्मों पर इन्होंने काफी काम किया. इसके अलावा हिंदी और तेलुगू फिल्में भी इन्होंने बनाईं. यह हमारे भारतीय सिनेमा के फाइनेस्ट फिल्ममेकर्स में से एक रहे. 18 इंडियन नेशनल अवॉर्ड्स जीत चुके मृणाल अपने नाम कई इंटरनेशनल अवॉर्ड्स भी कर चुके हैं. भारत सरकार ने इन्हें पद्मभूषण से नवाजा था. इसके अलावा दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड भी इन्हें मिला. कहा जाता है कि मृणाल इंडियन इंडस्ट्री के उन फिल्ममेकर्स में रहे, जिन्हें हाइएस्ट अवॉर्ड्स मिले. 14 मई 1923 को फरीदपुर में जन्मे मृणाल का कुल करियर 47 सालों का रहा. साल 2002 के बाद इन्होंने कोई फिल्म नहीं बनाई. 30 दिसंबर 2018 में इनका निधन हो गया.
अबतक कौन-कौन रहा जूरी मेंबर? फिल्ममेकर और प्रोड्यूसर मीरा नायर साल 1990 में बतौर जूरी मेंबर बनकर कान्स फिल्म फेस्टिवल के लिए गई थीं. इनकी फिल्म 'सलाम बॉम्बे' ने कान्स में डेब्यू किया था. साल 1988 में रिलीज हुई इस फिल्म को ऑस्कर्स में बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज फिल्म के लिए नॉमिनेट किया गया था. पर कान्स में इनकी यह फिल्म दो साल बाद गई.
अरुंधति राय पेशे से लेखिका हैं. इनकी किताब 'द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स' साल 1997 में लॉन्च हुई थी. साल 2000 में इन्हें कान्स फिल्म फेस्टिवल की जूरी मेंबर बनाकर बुलाया गया था. कहा जाता है कि अरुंधति ने टीवी जगत के लिए कई कहानियां लिखी हैं.
साल 2002 में ऐश्वर्या राय ने पहली बार कान्स फिल्म फेस्टिवल में अपनी पेशी दर्ज कराई थी. माथे पर बिंदी, येलो साड़ी में एक्ट्रेस अपनी फिल्म 'देवदास' के प्रीमियर के लिए पहुंची थीं. फिल्म में शाहरुख खान भी अहम भूमिका में नजर आए थे. इस फिल्म के प्रीमियर के एक साल बाद ऐश्वर्या फेस्टिवल की जूरी मेंबर बनी थीं. यह पहली फीमेल एक्ट्रेस थीं जो कान्स की जूरी लिस्ट में शामिल हुई थीं.
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